
आ गई-आ गई,बुड़की आ गई,
कैसी नौनी बेरा !!
नदियन, ताल, तलईंयन, गलियन,
गब रये है लमटेरा !!
घर-घर महक मगौरन की है,
बने ठडूला प्यारे !!
खुरमी, सेव, तिली के लडुआ,
घड़िया घुल्ला न्यारे !!
भरो ट्रैक्टर में घर भर खाँ,
जा रये बुड़की देबे !!
पूड़ी लुचई, पपरिया भर लई,
दो टुकना में खैबे !!
मंसूरी संगई में चल दये,
होतइ भोर सबेरा !!
आ गई-आ गई बुड़की आ गई,
कैसी नोनी बेरा !!
बुंदेली बौछार की ओर से सबई को मकर संक्रांती की शुभकामनाएं
🌷हर हर माँ नर्मदे हर🌷

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