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बनारस के काशीविश्वनाथ की तर्ज पर बना है बुंदेलखंड के काशीपुर का शिव मंदिर

बनारस के काशीविश्वनाथ की तर्ज पर बना है बुंदेलखंड के काशीपुर का शिव मंदिर
हजारों वर्ष पूर्व मराठा राजाओं ने कराया था शिव मंदिर का निर्माण

हरपालपुर :सावन के महीने का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। क्योंकि श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष विधान है। इस दौरान सावन सोमवार व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया जाता है। दरअसल श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इस माह में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की परंपरा है। श्रावण मास में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदायी माना गया है।
सावन का चौथा सोमवार आज है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह महीना वर्ष का पांचवां माह है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना जुलाई-अगस्त में आता है।
जिस प्रकार से काशी या वाराणसी भगवान शिव की राजधानी है इसलिए अत्यंत  महिमामयी है, इसी प्रकार से एमपी यूपी की सीमा से लगे जिला छतरपुर के हरपालपुर नगर से 11 किलोमीटर की दूरी पर उत्तरप्रदेश के महोबा जनपद के ग्राम काशीपुर में स्थित है प्राचीन शिव मंदिर।
यह मंदिर पिछले कई हजारो वर्षो से ग्राम काशीपुर में धसान नदी के किनारे स्थित हैं । जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मराठा राजाओ के वंशज गोविंदराव व पुरषोतम राव द्वारा कराया गया था। यहाँ जो शिव मंदिर का आकार व जो रूप है वह ठीक बिलकुल वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ के रूप में है। मंदिर के पुजारी पंडित श्री भगवती प्रसाद मिश्रा द्वारा बताया गया की जो मंदिर का आकार व मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है वह श्री काशी विश्वनाथ बनारस जैसा है।

मंदिर धसान नदी के किनारे बना हुआ है। नदी से मंदिर लगभग 100 फिट की ऊंचाई पर बना हुआ है। मंदिर के इस मनोरम दृश्य से भक्तो को अदभुत आनंद प्राप्त होता हैं। पुजारी जी ने बताया की इस मंदिर की पूजा सैकड़ो सालो से हमारे पूर्वज ही करते आ रहे है। श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए कामना लिंग पर प्रतिदिन जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, परंतु भगवान शिव के सबसे प्रिय त्यौहार महाशिवरात्रि व सावन  महीने  में यहां उनके भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है। मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक जो भी यहां बाबा के द्वार पहुंचता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कुछ लोग यहां अपनी मनोकामना मांगने आते हैं तो कुछ अपनी मनोकामनापूर्ण होने पर शिव जी का आभार प्रकट करने आते है। कहते है यहाँ से कोई भक्त निष्फल नहीं जाता है। ग्रामीणों द्वारा बताया गया की कुछ वर्ष पहले धसान नदी में बाढ़ आने से गंगा जी ने स्वयं आकर के मंदिर में शिव जी का जलाभिषेक किया था। गांव के लोगो का मानना है की काशी या वाराणसी भगवान शिव की राजधानी है इसी आधार पर गांव का नाम काशीपुर है। आस पास के लोग काशीपुर को मिनी काशी भी कहते है। भगवान शिव का कथन है की पृथ्वी पर जितने भी मेरी स्थान हैं वे सभी वाराणसी में भी मेरे सानिध्य में रहते है इसका प्रमाण हैं ।

”इनका कहना है”
मंदिर का निर्माण मराठा राजाओ ने करवाया जो मंदिर का आकार व मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है वह श्री काशी विश्वनाथ वनारस जैसा है। मराठा राजाओं के समय हमारे पूर्वज मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहे है
(पंडित श्री भगवती प्रसाद मिश्रा, शिव मंदिर काशीपुर )

सुनील विश्वकर्मा- हरपालपुर, छतरपुर(म०प्र०)

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