ओम प्रकाश दुबे , वरिष्ठ पत्रकार
पटरी से उतरी जिंदगी अब असमंजस में है। जीवन रहेगा या मानव सभ्यता अपने अंतिम पड़ाव पर है, ऐसे ही कुछ नकारात्मक विचार इन दिनों लोगों के जेहन में आ रहे हैं। पर, वैश्विक महामारी के इस दौर में नकारात्मकता की नहीं सकारात्मकता की जरूरत है। मन के हारें हार है, मन के जीतें जीत। मन को मजबूत करें, इसकी चंचलता पर एक योगी की तरह नियंत्रण करके लाकडाउन में घर के अंदर रहें, तो कोरोना पर जीत सुनिश्चित है।
मानव जीवन में दबे पांव आई मौत की त्रासदी कोई पहली नहीं है। हमारे हिन्दू धर्म के पुराणों में भस्मासुर की कथा का एक प्रसंग आता है। भस्मासुर एक ऐसा राक्षस जो किसी को छू ले त़ो वह व्यक्ति भस्म हो जाता था। भस्मासुर और कोरोना के चरित्र में भी काफी समानता है। दोनों का उद्भव स्थल भी हिमालय की गुफाएं ही हैं। दोनों ही संक्रामक हैं। इनके स्पर्श मात्र से मानव जीवन भस्म हो जाता है।भस्मासुर भी उस दौर का एक वायरस ही था। उसके स्पर्श मात्र से हजारों देवता व मानव भस्म हो गए, हाहाकार मच गया। सभी शिवजी के दरबार में जीवन रक्षा की फरियाद लेकर पहुंचे, तब शिवजी ने कहा था, आप सब अपने घरों के अंदर रहें, बाहर न निकलें भस्मासुर को मैं ठिकाने लगा दूंगा। पृथ्वी पर चारों ओर सन्नाटा छा गया, दूऱ दूर तक मानव जाति दिखाई नहीं दे रही थी। कई दिनों तक भूखा प्यासा भटकने के बाद भस्मासुर फिर लौटकर हिमालय की गुफाओं में भगवान शिव के पास पहुंचा और अपना हाल बयां किया, शिवजी उसका मर्म जानते थे,उन्होंने गुफा के अंदर से ही कहा , भस्मासुर आप सिर पर हाथ रखकर सुंदर नृत्य करिए मैं भी और सारी मानवजाति भी अपने आप ही आपका नृत्य देखने अपने घरों से बाहर आ जाएंगे। भस्मासुर ने जैसे ही नृत्य करने के लिए अपने सिर पर हाथ रखा और वह पल भर में स्वयं भस्म हो गया। आप भी लाकडाउन में घर से बाहर मत निकलिए, मुझे पूरा विश्वास है, कोरोना का भस्मासुर अपने आप ही भस्म हो जाएगा।