दमोह/बटियागढ़: एक तरफ राज्य सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से तमाम आधुनिक सुवधाएं लोगों तक पहुंचाई जा रई है, तो और दूसरी तरफ कई ऐसे भी गांव है जिनके लाने है आज तक वे सुवधाए नईं मिल पाईं हें, कहूं लाइट नईयां तो कहूं पानी नईया या फिर सड़क …जब नेचे वालन से केत केत थक गए सो अब गांव वाले भगवान से प्रार्थना कर रहे।
एसई मामला बटियागढ़ जनपद के पास ग्राम पंचायत अगारा के टपरिया अगारा को हे, बटियागढ़ से 5 किलोमीटर दूर टपरिया अगारा के रेवे बारे पक्की सड़क के लाने आज भी मोहताज हैं, इते लगभग 500 लोग रत हैं लेकिन इते रेवे वारों के लाने सड़क की सुविदा नईंआ। कच्ची पगडंडी के सहारे 12 महीना सवई जनों को आवो जाबो रत है , इते के रेवे बारों की तो कच्ची रस्ता से निकरवे की आदत बन गई है, कई बार इते के रेवे बारों ने जनप्रतिनिधियों सहित संबंधित अधिकारियों खों अवगत कराओ है। ग्रामीणों को केवो है के छोटे बच्चों के लाने येई कीचड़ भरी रस्ता से स्कूल जाने पड़त है! बस्कारें(बरसात) में सबसे ज्यादा परेशानी तो तब होत है जब कोउ इते बीमार हो जात, ऐसी कई घटनाएं है जिमे कच्ची रस्ता की वजह से ज्यादा समय लगवे के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है, इते के रेवे वारों ने बताओ है की बहुत पहले बस्कारे के मौसम में शुभम पिता बबलू लोधी को करंट लग गओ तो जिसे चारपाई के सहारे 3 किलोमीटर दूर मुख्य रोड तक ले गए ते समय पे इलाज न होवै से मौत हो गई ती, एएसआई जगदीश पिता गुलजार सिंह लोधी 2 अगस्त 2018 को कुआं में गिर गए ते सो इनके लाने सोई चारपाई के सहारे पक्की सड़क तक ले गए ते सही समय पे इलाज ने होवे पे इनकी सोई मृत्यु हो गई ती ! साथ ही गर्भवती महिलाओं के लाने सोई जेई परेशानी होत है। के तो बच्चा रस्ता में जन्म ले लेत, या फिर उनके लाने सही समय पर इलाज नई मिल पाउत!
