पेट्रोल की मंहगाई और भक्त (लघुकथा बुंदेली में) 

सचिन चौधरी @बुंदेली बौछार

ढुर्र, ढुर्र
स्टार्ट काय नईं हो रई ससुर 
अरे पेट्रोल खत्म हो गओ हुईये
नईं यार
कल ही तो 20 को डलवाओ तो
इत्ती जल्दी कहां से खत्म हो गओ
कार्बेटर में कचरा आ गओ हुईये
फू फू फू
अब देखो, अब हुईये स्टार्ट
ढुर्र.. ढुर्र
अरे… के रये न
एक बेर टंकी खोल के तो देखो
हओ।
दिख तो रओ तनक
रुको फूंक मार रये
अब हो जेहे
ढुर्र ढुर्र
नईं भई ससुर
अब आड़ी करके तो होई जैहे
अब भी नईं भई
चलो अब भरी दुपरिया में ढड़काओ पंप नो
ऐ भाई जल्दी 20 को डार दियो
20 को नईं आऊत अब 85 रुपैया लीटर हो गओ
डाल दो यार, डिजिटल ट्रांजेक्शन कर देहें कार्ड से 20 रुपैया
चलो खोलो
खोल दओ ढक्कन
ढक्कन नईं ससुर अपनो मुंह खोलो
ओई में भर दयें ससुर 20 को पेट्रोल
कल तुमई या फेसबुक पे पोस्टर लगायें फिर रये ते के भले पेट्रोल 200 को हो जाए मनों वोट मोदी जी खों देने
अब 20 रुपैया को पेट्रोल ढूंढत फिर रये ससुर

 

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