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45 साल की लेडी डॉक्टर बनीं ‘आयरन मैन, मध्यप्रदेश में 45 साल की लेडी डॉक्टर का कमाल

मध्यप्रदेश में 45 साल की लेडी डॉक्टर प्रिया ने कमाल कर दिया और जो नामुमकिन था उसको मुमकिन करके दिखाया हैं जी हाँ दोस्तों लेडी डॉक्टर प्रिया ने ‘आयरन मैन’ का खिताब जीता है। उन्होंने ये ख़िताब लगातार 7 घंटे 40 मिनट तक 1900 मीटर तैराकी, 90 किलोमीटर साइकिलिंग और 21 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर के हासिल किया है।, दोस्तों भोपाल की डॉक्टर प्रिया भावे चित्तावर ​​ये ​रेस पूरी करने वाली प्रदेश की पहली महिला हैं। प्रतियोगिता में 32 देशों के 2 हजार खिलाड़ी शामिल हुए थे। प्रतियोगिता 13 नवंबर को गोवा में आयोजित की गई थी।

डॉ. प्रिया बताती हैं की कि सुपर मॉडल मिलिंद सोमन ने 50 साल की उम्र में यह रेस पूरी की थी। जब मिलिंद कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं? इसी जज्बे के साथ 3 साल पहले प्रिया ने ट्रेनिंग शुरू की थी। प्रिया आगे बताती हैं की स्विमिंग करना तो उन्होंने 4 महीने पहले ही सीखा।

प्रिया आगे कहती हैं की ऐसे में लगता था कि थोड़ा मुश्किल है, लेकिन फिर तैयारी शुरू की, तो पक्का कर लिया कि इसे पूरा करूंगी। एक साल से एक सप्ताह में 30 घंटे तक कड़ी मेहनत करती थी। एमपी इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी के चैप्टर सेक्रेटरी के रूप में काम के साथ काम और आउटरीच कैंप और सम्मेलनों को में भाग लेटए हुए ट्रेनिंग पूरी की। दोस्तों प्रिया बताती हैं की अब वो वे ‘फुल आयरन मैन’ की तैयारी करेंगी। इसमें सभी इवेंट डबल हो जाते हैं। और इन्हें साढ़े 16 घंटे के अंदर पूरा करना होता है।आपको बता दे की इस तरह 13 लोगों की टीम में से डॉक्टर प्रिया चित्तावर अकेली महिला रहीं। जिन्होंने दौड़ स्विमिंग और साइकिलिंग में विशेष योगदान दिया है। इसकी वजह से वे मध्यप्रदेश की अकेली डॉक्टर महिला हैं, जिन्होंने आयरन मैन टूर्नामेंट पूरा किया है।

मरीजों से भी मिली प्रेरणा


डॉ. प्रिया बताती हैं कि रेस के दौरान गर्मी ने काफी परेशान किया। बीच में लगा कि रेस पूरी नहीं कर पाऊंगी, लेकिन फिर मरीजों का ख्याल आया। परेशानी और समस्या होने के बाद भी मरीजों के संघर्ष से मुझे प्रेरणा मिली, और हर किलोमीटर को मैंने उन्हें समर्पित किया।

कई बार बीच में पैर तक नहीं उठ रहे थे

प्रिया बताते हैं की सबसे पहले 2000 मीटर तक समुद्र में स्विमिंग करना होता है। खारे पानी में तैरने से पैर भारी हो जाते हैं। इसके बाद 90 किलोमीटर साइकिल चलाना होता है। स्विमिंग के बाद साइकिलिंग करना बड़ा मुश्किल होता है। कुछ दूरी बाद पैर चलना बंद हो जाते हैं। ऐसे में अंदर की शक्ति ही पैर को आगे चलाने के लिए प्रेरित करती है। साइकिलिंग के बाद 21 किलोमीटर की दौड़ तुरंत ही शुरू करना होती है। रनिंग अंतिम क्षणों में पैर चलना बंद हो जाते हैं। इसी दौरान असली चैलेंज होता है। अगर एक भी इवेंट समय में पूरा नहीं होता है, तो रेसर को वहीं रोक दिया जाता है। इसी कारण इस प्रतियोगिता में काफी कम लोग भाग लेते हैं। इसमें कोई अवॉर्ड राशि नहीं मिलती है।

सुबह 3.30 बजे उठकर प्रैक्टिस करतीं हैं प्रिया


प्रिया ने बताया कि शुरू में मेरे लिए प्रैक्टिस करना बहुत मुश्किल था, लेकिन मां ने प्रेरित किया। उन्होंने घर का पूरा काम देखा और बच्चों को संभाला। मैं सुबह 3.30 बजे उठकर प्रैक्टिस के लिए निकल जाती हूं। एक दिन में दो इवेंट करती हूं। इसमें स्विमिंग-रनिंग या रनिंग-साइकिलिंग या फिर साइकिलिंग-स्विमिंग करती हूं।

परिवार का पूरा सपोर्ट मिला

भोपाल से ही पूरी पढ़ाई हुई। पति भी डॉक्टर हैं। बच्चों ने अपने गोल पहले से सेट करके रखे हैं। दो बेटों में से बड़ा बेटा अनुराग बीएससी फर्स्ट ईयर बेंगलुरू में पढ़ाई कर रहा है। वह रिसर्च में जाना चाहता है। छोटा बेटा अभिजीत 10th क्लास में है। मां मेरे साथ हमेशा सपोर्ट में रहती हैं। बच्चे भी कहते हैं कि मां करियर से भी अलग कुछ करते रहना चाहिए। सभी के सपोर्ट के कारण ही आज यहां तक पहुंच सकी हूं।

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