ये तेरा शिकारी , ये मेरा शिकारी धन्य है मध्य प्रदेश की राजनीति
धन्य है मध्य प्रदेश की सियासत , तीन पुलिस कर्मियों की शहादत के बाद उनकी चिता की राख ठंडी होने का इन्तजार तो छोड़िये , इस बेशर्म राजनीति ने शहीदों की चिताओं में आग लगने का अभी इन्तजार न किया और शुरु कर दिए आरोप प्रत्यारोप।
सचिन चौधरी. प्रदेश के गुना जिले से शनिवार की सुबह खबर आई कि हिरण और मोर के शिकारियों से मुठभेड़ में एक एसआई समेत 3 पुलिस कर्मी शहीद हो गए। इसके बाद आनन फानन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी बैठक बुलाकर, कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए और ग्वालियर आईजी को हटा दिया। एक घटना और उसके बाद सरकारी एक्शन दोनों हुए लेकिन इसी बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि इस घटना को अंजाम देने वाले शिकारियों का राघोगढ़ किले और दिग्विजय सिंह से कनेक्शन है ।
तस्वीर देखिये-
– साफ़े में हीरेंद्र सिंह बँटी बना
– गुना बीजेपी के उपाध्यक्ष– लाल टी-शर्ट में नौशाद
– सुबह एनकाउंटर में मारा गया– नौशाद के पास नवाब खड़ा है
– इसका बेटा विक्की फ़रार है– नौशाद का भाई शहज़ाद
– एनकाउंटर आज शाम को हुआ।पुलिसकर्मियों की हत्या के पीछे भी बीजेपी। https://t.co/BLarqueXgz pic.twitter.com/cKATv1s6NX
— MP Congress (@INCMP) May 14, 2022
कांग्रेस पार्टी ने इस विषय की जांच की मांग की तो , कुछ ही देर में वह भी कुछ तस्वीरें खंगालने में कामयाब हो गई। सबसे पहले तो विष्णुदत्त शर्मा की ग्वालियर आईजी के साथ वाली तस्वीर लाई , जिसमे वह सागर आईजी होते हुए सड़क पर वीडी शर्मा का इन्तजार करते दिखे थे। इसके बाद सामने आईं वह तस्वीरें जिसमे पुलिसकर्मियों की हत्या का दूसरा आरोपी शहज़ाद कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के साथ दिख रहा है। वहीं कांग्रेस ने सोशल मीडिया में तस्वीरों के जरिये गुना हत्यारों के संरक्षक को सिंधिया और अरविंद भदौरिया का बेहद करीबी बताया । कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने आज इन्ही तस्वीरों के जरिये वीडी शर्मा पर पलटवार किया ।
सवाल यह नहीं कि कौन किसका करीबी है। सवाल यह है कि हमारे जांबांज पुलिस कर्मियों की शहादत हुई है
सवाल यह नहीं कि किसकी फोटो किसके साथ है। सवाल यह है कि शिकार की यह पहली घटना नहीं रही होगी। अगर भाजपा की मानें तो कांग्रेस द्वारा संरक्षित शिकारियों पर बीते १६ साल की सरकारों में कार्रवाई क्यों न हुई और कांग्रेस की मानें तो भाजपाई समर्थित शिकारियों के खिलाफ आपने कभी आवाज क्यों न उठाई। क्या गलती सिर्फ उन जांबांज पुलिस वालों की है, जिन्होंने शिकारियों को रोका। क्या सालों से हो रहे शिकार के मामलों में वन विभाग और पुलिस के बड़े अधिकारी कानों में ऊँगली डालकर और आंखो पर पट्टी बांधकर बैठे रहे
आपकी राजनीति गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को भटकाने वाली है। सब इन्स्पेक्टर के डेढ़ साल के बच्चे की चीखें और सिपाही की राह देखती गर्भवती पत्नी की आँखों का सूनापन भी आपको न पिघला पाया तो क्या उम्मीद करें आपसे