मध्यप्रदेश

अफ्रीका के नामीबिया से मप्र आ रहे चीतों की 14 घंटे में पूरी होगी कूनो तक की यात्रा, 17 सितम्बर को पीएम की मौजूदगी होगा कार्यक्रम

भोपाल : नामीबिया के जोहान्सबर्ग से चीतों को लेकर मालवाहक हवाई जहाज 16 सितंबर को मप्र के लिए उड़ान भरेगा। वहां से यहां तक आने में 12-14 घंटे का समय लगेगा। यहां लाए जाने वाले चीतों के आइसोलेशन अवधि पूरी हो गई है, जो यहां लाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्हें यहां भी एक माह तक आइसोलेशन में रखा जाएगा। इनके साथ नामीबिया से डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक टीम भी मप्र आएगी।

  • नामीबिया से मप्र आ रहे चीतों की आइसोलेशन अवधि पूरी
  • जोहान्सबर्ग से चीता लेकर हवाई जहाज 16 को भरेगा उड़ान

पीएम मोदी करेंगे बटन दबाकर करेंगे चीतों आजाद

16 सितंबर को चीता लेकर हवाई जहाज जोहान्सबर्ग से उड़ान भरेगा और दिल्ली पहुंचेगा। 12 से 14 घंटे में चीते ग्वालियर या जयपुर पहुंच जाएंगे। वहां से वायुसेना के चौपर इन्हें लेकर उड़ेंगे और कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में उतरेंगे। यहां मुख्य बाड़े के अंदर स्थित छोटे बाड़े में दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीतों को रिमोट का बटन दबाकर आजाद करेंगे। इन बाड़ों में उन्हें एक महीना आइसोलेशन में रखकर मुख्य बाड़े में छोड़ा जाएगा। सूत्र बताते हैं कि नामीबिया से जिस बॉक्स में चीते लाए जा रहे हैं, उसका गेट रिमोट से खुलेगा। चीता को छोडऩे के लिए बाड़े में अलग गेट रहेगा, जिससे सटाकर बॉक्स रखा जाएगा।

एक महीने से कम उम्र के चीतल शिकार कर खाएंगे चीते

आइसोलेशन अवधि में चीतों के बाड़ों में कम उम्र के चीतल छोड़े जाएंगे, ताकि वे उन्हें मारकर खा सकें। अधिकारियों का कहना है कि नए प्राणी को लेकर उनका भय भी खत्म होगा, क्योंकि अफ्रीका में चीतल नहीं पाए जाते हैं। उन जैसे ही दूसरे शाकाहारी वन्यप्राणियों को चीता मारकर खाते है .

बॉक्स रखकर इस प्रकार से लाये जाएंगे चीतें

नामीबिया से विशेष बॉक्स में बंद करके चीते लाए जाएंगे। एक बॉक्स में एक चीता रहेगा, जिनमें रोशनी और हवा जाने-आने के लिए रोशनदान होगा। बॉक्स में शिफ्ट करते हुए चीतों को एनस्थीसिया देकर बेहोश किया जा सकता है पर वे आधा से एक घंटे में होश में आ जाएंगे और फिर उन्हें बेहोश नहीं किया जाएगा।

तीन महीने के बाद चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा

चीतों का तीन माह तक व्यवहार देखा जाएगा। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो तीन माह बाद एक नर चीता को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। उसे रेडियो कॉलर लगाई जाएगी और लगातार मॉनीटरिंग होगी। करीब चार माह की सफलता के बाद एक मादा चीता को छोड़ा जाएगा।

चीतें लाने का यह सिलसिला पांच साल तक जारी रहेगा

दक्षिण अफ्रीका व नामीबिया से चीता लाने का सिलसिला पांच साल तक चलेगा। अभी नामीबिया से आठ व दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते आ रहे हैं। इसके बाद आबादी बढ़ाने के लिए और चीते लाए जाएंगे।

आखिर क्यों कूनो अभ्यारण में ही चीतों को शिफ्ट किया जा रहा है ?


बताया गया कि वर्ष 1952 में भारत में चीता विलुप्त घोषित किया गया था। वर्ष 2009 में चीता पुन :स्र्थापना के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के साथ अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों की चर्चा हुई। वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुन : स्र्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वे किया, जिसमें 10 स्थलों में कूनो अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया। कूनो राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के रहवास के लिए उपयुक्तता है। इसके अतिरिक्त करीब हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र दो जिलों श्योपुर और शिवपुरी में चीतों विचरण के लिए उपयुक्त हैं।

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