सागर के 13 गांव के 400 विद्यार्थी को 2 साल से नहीं दी साइकिलें, स्कूल जाने के लिए छात्रों को बसों की छतों का लेना पड़ रहा सहारा
सागर : बस की छत पर बैठकर जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते बच्चों की यह तस्वीर सागर जिले के केसली ब्लॉक की है। यहां हर दिन 13 गांव के 400 विद्यार्थी इसी तरह स्कूल जाते हैं। दरअसल, इस मार्ग पर सुबह के समय कम बसें ही चलती हैं। आसपास के दर्जनभर गांव के बच्चे केसली स्थित एक्सीलेंस स्कूल में पढ़ने जाते हैं।
उन्हें और कोई वाहन नहीं मिलता तो वे बसों के ऊपर बैठ जाते हैं। इससे कभी कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। तस्वीर में सागर से टड़ा जाने वाली बस एमपी-15 पीए 0207 के चालक ने स्कूली छात्रों को बस के ऊपर बैठा लिया है।
ग्रामीणों ने बताया कि पटना, नयानगर, सरदई, महका, पिपरिया, चिरई, जैतपुर, डोमा, जरुआ, डुंगरिया, रामखेरी, कुकवारा और पुतर्रा गांव के छात्र रोज केसली तक 2 से 10 किलोमीटर की यात्रा इसी तरह तय करते हैं।
दरअसल, इसके पीछे शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही है। दो वर्ष से कोविड के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग ने साइकिलों का वितरण नहीं किया। जिससे विद्यार्थियों के पास कोई और वाहन न होने के कारण मजबूरी में उन्हें बस के ऊपर बैठकर स्कूल जाना पड़ रहा है।
छात्रों के स्कूल आने की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी
केसली एक्सीलेंस के प्राचार्य को निर्देश देंगे कि कोई भी छात्र बस की छत पर बैठकर स्कूल न पहुंचे। जब तक साइकिलों का वितरण शतप्रतिशत नहीं हो जाता, तब तक विद्यार्थियों के आने-जाने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
- अखिलेश पाठक, जिला शिक्षा अधिकारी, सागर
बस मालिकों को चेतावनी देंगे कि किसी व्यक्ति को बस की छत पर न बैठाए
सागर-टड़ा मार्ग पर चलने वाली बसों के मालिकों को चेतावनी देंगे बस की छत पर किसी को न बैठाएं, नहीं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी बात करेंगे कि बच्चों के स्कूल आने-जाने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम करें।
- सुरेंद्र सिंह गौतम, एआरटीओ, सागर
प्रदेश में केवल सागर ही एकमात्र ऐसा जिला है, जहां मध्यप्रदेश शासन के तीन मंत्री है। सागर के लोग सालों से यह भी देखते आ रहे हैं कि जब भी नेताओं की रैलियां और सरकार के बड़े कार्यक्रम होते हैं, तो राजनीतिक दल और पूरा स्थानीय प्रशासन भीड़ जुटाने में लग जाता है, फिर चाहे इसके लिए रैली या सभा स्थल तक लोगों को लाने के लिए बसों का ही इंतजाम ही क्यों न करना पड़े?
दर्जनों बसें एक ही दिन में खड़ी कर दी जाती है, और करोड़ों रुपए केवल इस बात पर खर्च हो जाते हैं, कि बसों से लोगों को सभा स्थल तक पहुंचाया और वापस उनके गांव छोड़ा गया। उसी सागर में विद्यार्थियों को स्कूल तक जाने के लिए बस की छत पर बैठना पड़ रहा है।
क्यों न सरकार, मंत्री, प्रशासन या समाज सेवी इन बच्चों के लिए बसें उपलब्ध कराकर नजीर पेश कर दें, जिससे यह संदेश पूरे देश में जाए कि सागर वाले केवल नाम के सागर वाले नहीं है, बल्कि उनका दिल भी सागर जैसा उदार और विशाल है।