पन्ना: टाइगर अब जिंदा नही है, एक माह में दूसरे बाघ की मौत
एक माह में दूसरे बाघ की मौत प्रबंधन पर सवाल धन पर सवाल
पिछले काफी समय से मध्य प्रदेश की राजनीति में टाइगर शब्द ने एक अहम स्थान प्राप्त कर लिया था। हर कोई कह रहा था की टाइगर अभी जिंदा है, टाइगर अभी जिंदा है। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व को न जाने किस की नज़र लगी की एक और बाघ की मौत हो गई। विगत एक माह में यह दूसरा मामला है, जहां बाघ की मौत हुई।
2008 में बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व को पुनः आबाद करने के लगातार प्रयास हुए, जिसके चलते आज पन्ना में बाघों की दहाड़ सुनाई देती है। लेकिन अब लगातार बाघों की मौत ने पार्क प्रबंधन पर फिर सवाल खड़े हो रहे है। पन्ना टाइगर रिजर्व में हुई बाघ की संदिग्ध मौत पर प्रबंधन का कहना है कि यह मौत बाघों के आपसी संघर्ष का परिणाम है। वहीं कई लोग इसे संदेहस्पद बता रहे हैं। बताया जाता है कि 27.07.2020 को परिक्षेत्र गहरीघाट के बीट मझौली कक्ष क्रमांक पी-511 में एक नर बाघ मृत पाया गया। बाघ के मृत्यु की सूचना प्राप्त होते ही तत्काल फील्ड डारेक्टर केएस भदौरिया, उप संचालक, स्क्वाड एवं वन्यप्राणी चिकित्सक के साथ घटना स्थल पर पहुंचे घटना स्थल के आस-पास डाग स्क्वाड द्वारा सचिंग करवाई गई। बताया गया कि मौके पर अवैध गतिविधि के कोई साक्ष्य नहीं पाये गये। बाघ की मृत्यु 3-4 दिन पूर्व होना पाया गया पार्क प्रबंधन का कहना है कि प्रथम दृष्टया बाघ की मृत्यु का कारण दो बाघों की आपसी लड़ाई प्रतीत हुआ। मौके पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि इन्द्रभान सिंह बुन्देला उपस्थित रहे। वन्य प्राणी चिकित्सक द्वारा पोस्टमार्टम किया गया। मृत बाघ के सभी अवयब मौके पर पाये गये। पोस्टमार्टम उपरान्त मृत बाघ के शव को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि इन्द्रभान सिंह बुन्देला, उप संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व, वन्य प्राणी चिकित्सक, अन्य वन अधिकारियों की उपस्थिति में जला कर नष्ट किया गया। पन्ना टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत फेस-4 मानीटरिंग के के दौरान कोर क्षेत्र में 39 बयस्क/अर्धवयस्क बाघ पाये गये हैं, जिसकी डेन्सिटी 6.05 से 6.09 प्रति 100 वर्ग कि.मी. है। जबकि पन्ना टाइगर रिजर्व की धारण क्षमता 30 बाघ की ही है। बाघों की संख्या बढ़ने के कारण आपसी संघर्ष की वजह से यह प्रकरण हुआ है।