खबर

अवसाद के अंधकार में उम्मीद के दीपको के बीच यह कैसी उत्सवधर्मिता ?

 

मयंक दुबे

घने अंधकार के बीच उम्मीद का दीपक जलाकर जो प्रकाश पुंज प्रकाशित करना था उसका उद्देश था आपदा के बीच अवसाद में गए लोगो के जीवन मे एक नई उम्मीद को जगाना ,,,पर लोगो ने इसका स्वरूप ही बदल डाला, जिस उम्मीद के दिये को जलाकर इस आपदा में मरने वालों को याद करने की जगह लोगो ने पटाखे और फुलझड़ी चलाकर खुशिया मना डाली ।।यह कैसा देश है जब ताली और थाली बजाने को कहा जाता है तो जलूस निकाल डालते है और जब सिर्फ दीपक जलाने को कहा जाता है तो पटाखे चला डालते है ,,यह समय उत्सव मनाने का नही लोगो को हताशा से निकालने का है लोगो को जागरूक करना है ।।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button