म.प्र. की अथ श्री राजनीति कथा….
वो शाम की भोपाल से दिल्ली जाने वाली इंडिगो की फलाइट थी। इसमें दो ऐसे किरदार थे जो एक दूसरे से परिचित तो थे ही जो एक दूसरे के विरोधी भी थे विधानसभा के फलोर से लेकर चुनावी सभाओं और सार्वजनिक मंचों पर एक दूसरे के खिलाफ आग उगलते थे एक सूबे के सीएम रह चुके थे तो दूसरे सूबे के सामंत थे दोनों एक ही काम से दिल्ली जा रहे थे दोनों अपनी अपनी पार्टी की सेवा पर थे एक को अपना काम बनाना तो दूसरे को वही काम बिगाडना था आमने सामने पडे तो मुस्कुराये और अभिवादन किया मगर एक दूसरे को लेकर दोनों सशंकित भी हुये दोनों ने अपने अपनों को काल किया अरे वो भी है फलाइट में दोनों को एक दूसरे से सतर्क रहने और अपने काम की भनक दूसरे को नहीं मिलने की चेतावनी मिली मगर दोनों समझ रहे थे कि दोनों एक ही मिशन पर हैं,, मिशन होली।
मिशन होली के किरदारों को राजधानी दिल्ली के बाहर उस बडे पांच सितारा रिसार्ट में ठहराया गया था जो अपनी भव्यता और विशालता के लिये जाना जाता है। यहाँ के अलग अलग कमरों में किरदार आकर ठहरते जा रहे थे कुछ को रूके एक दिन हुआ था तो कुछ दो दिन से ठहर कर यहां की अलौकिक सुविधाओं का उपभोग कर रहे थे। एक विशाल काया वाले किरदार ने आते ही इस रिसार्ट में स्पा की मांग की और दो दिन में ही उस पांच सितारा स्पा में हजारों रूप्ये का बिल बनवा दिया। मुफत की हडडी पर कबडडी का अलग ही मजा है तो बिना पैसों की परवाह किये सब इस रिसार्ट में आने वाले उन अच्छे दिनों की कल्पना करने में मगन थे और साथ मिलते ही अपना टाइम आयेगा का सुर मिलाते थे। ये सारे जनता से जुडे लोग थे मगर जनता की सेवा की शपथ और विचारधारा की बंदिश को रोज शाम सोडे में घोलकर पी रहे थे। ये किरदार अपने साथियों की संख्या दहाई में होने तक यहाँ इंतजार कर रहे थे संख्या पूरी होने पर इनको किसी दूसरे दक्षिणी राज्य में जाकर ऐसी ही कुछ दिन और एकांतवास में फाइव स्टार तपस्या कराने की योजना तैयार थी। इन किरदारों के कुछ साथी जो प्रदेश के उत्तरी संभाग से जुडे थे हवाई जहाज से ना जाकर अपनी गाडी से ही यहाँ पहुंचने का आश्वासन दे चुके थे मगर रात में रस रंजन करते हुये उनको पहुंचने में देरी हुयी तो देर रात वो दक्षिण दिल्ली के एक सरकारी ठिकाने पर जा ठहरे। सुबह उनको अपने इन साथियों से मिलने की योजना थी। रिसोर्ट में ठहरे किरदारों में एक दबंग महिला भी थी जो अपनी बिंदास शख्सियत के चलते सुर्खियों में रहती थी वो भी एक दिन पहले अपनी बेटी के साथ यहाँ आ गयी थी मगर मिशन होली को जिस गोपनीयता से अंजाम दिया जा रहा था उतनी ही गोपनीयता से उन पर नजर भी रखी जा रही थी। इन किरदारों के विरोधियों ने पहले दिल्ली फिर भोपाल में ये बात फैलानी शुरू कर दी कि कुछ लोग जनता के साथ छल करने जा रहे हैं और इसके लिये इन किरदारों को करोडों रूप्ये का नजराना दिया जा रहा है। ये किरदार इस शोर शराबे के बाद भी जाग जाते तो इनका मकसद कामयाब हो जाता मगर ऐशो आराम में दिमाग भी थोडा सुस्त हो जाता है। इन सबकी नींद तब उडी जब एक रात यहां पर अचानक हंगामा होने लगा। यहां ठहरे किसी किरदार के सुरक्षा कर्मी ने यहां की सारी लोकेशन जिन लोगों को दी वहीं लोग इंडिगो की फलाइट से भागे भागे आये और सीधे यहाँ पहुंचे। इन लोगों ने आरोप लगाया कि इन सारे किरदारों को बंधक बनाया गया है मगर जो बंधक थे वो बंधक होने के लिये ही यहां आये थे इसलिये उनमें से कोई भी उनको कठित तौर पर छुडाने पहुँचे लोगों के साथ आने को तैयार नहीं थे। पहले इन लोगों को एक आदिवासी बुजुर्ग किरदार दिखे उनको उनके कमरे में घुसकर उनकी उमर और विचारधारा का हवाला देकर पैर छूकर वापस चलने को कहा मगर जो लोग इनको लाये थे उनको खबर लग गयी और फिर क्या था कथित बंधक के संरक्षकों और कथित रक्षकों के बीच होने लगी हुज्जत झुमा झटकी गाली गलौज, बंधक जाने को तैयार नहीं ऐसे में रक्षक ढीले पड गये उनके सामने ही बुजुर्गवार को दूसरे कमरे में जाया गया जहाँ पहले से ही तीन दूसरे किरदार ठहरे थे। रक्षक पार्टी ने फिर दबंग महिला किरदार के कमरे क रूख किया क्योंकि उम्मीद थी कि वो वाकई बंधक होगी मगर ये क्या ये कथित बंधक भी इन रक्षकों को खरी खोटी सुनाने लगी। ऐसे में रक्षक फिर ढीले पड गये मगर एक मौका ऐसा आया कि रक्षकों ने कमरा बंद कर महिला का संवाद उनसे करा दिया जिनके कहने पर ये इनको छुडाने आये थे और ऐसे में काम आयी महिला की बेटी जिसने मां को इस लडाई झगडे के बीच निकल चलने को कहा जैसा कि आजकल होता है ऐसी मारामारी में पीडित पक्ष का सहारा मोबाइल का वीडियो कैमरा ही होता है तो लगातार इन सारे दश्यों की रिकार्डिंग की जाने लगी। ये रिकार्डिग सुबह सुबह समाचार चैनलों पर हैडलाइन के रूप में चली। उधर रक्षक लोग इस किरदार को लेकर उसी सरकारी रिहाइश पर पहुन्चे जहां पर देर हो जाने के कारण गुरूग्राम के गु्रप से जुडने जा रहे किरदार आकर थोडी देर के लिये रूके हुये थे। रक्षकों को मुंहमांगी मुराद मिल गयी कुल मिलाकर चार किरदार हो गये जिनको बंधक बनाने का दावा किया जा रहा था उधर इस मारामारी में गुरूगांव के चार किरदारों को उनके साथी दक्षिणी राज्य के और आलीशान एकांतवास में ले गये। उधर हाथ आये बंधकों को रक्षक शान से सरकारी पुष्पक विमान में बैठाकर राजधानी लाये। उधर दक्षिण गये बंधक एकांतवास के ऐश का भंडाफोड होने पर घबडाये हैं और उनमें से एक किरदार वापस आये हैं। इस वापसी को लोकतंत्र की जीत बताया जा रहा हैं मगर मेरी नजर में लोकतंत्र तो उसी दिन हार गया जब ये किरदार नजराना लेने इस रिसार्ट में पहुंचे थे।
( कथा के किरदार काल्पनिक हैं यदि किसी का साम्य होतो वो केवल संयोग है )
ब्रजेश राजपूत,
एबीपी न्यूज़ भोपाल