मध्य प्रदेश के सियासी घटनाक्रम का निपटारा अब सुप्रीम कोर्ट में चलेगा.. बुधवार को इस मामले की सुनवाई के बाद.. मामला कल सुबह 10:30 बजे तक के लिए टाल दिया गया
शिवराज सिंह चौहान की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल के आदेश पूरी तरह कानून सम्मत हैं।
एस आर बोम्मई केस में साफ किया जा चुका है कि अगर मुख्यमंत्री शक्ति परीक्षण से इंकार करते हैं तो यह माना जा सकता है की सरकार के पास बहुमत नहीं बचा है।
सुप्रीम कोर्ट – हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम TV पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकते। देखना होगा कि विधायक दबाव में हैं या नहीं। उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाए। फिर वह जो करना चाहें करें। सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वह स्वतंत्र फैसला ले सकें
रोहतगी की दलील- अगर कोई सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि वह बहुमत खो चुका है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी। उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह के वही किया जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है।
मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि हम सभी 16 विधायकों को जजों के चैंबर में पेश करने को तैयार हैं।
कोर्ट ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया।
बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इन विधायकों ने वैचारिक मतभेद के कारण इस्तीफा दिया है। मुद्दा स्पीकर के संवैधानिक दायित्वों का है।
क्या वो अनिश्चित काल तक त्यागपत्र को विचाराधीन रख सकते हैं?
क्या वो चुपचाप बैठे रहेंगे और कोई कदम नहीं उठाएंगे।
कमलनाथ सरकार भरोसा खो चुकी है और उसे बहुमत साबित करना चाहिए।
अगर कांग्रेस की दलील को मान लिया जाए तो विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार ही नहीं रह जाएगा।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने स्पीकर के वकील अभिषेक मनुसिंघवी से पूछा कि अगर बेंगलुरु में मौजूद विधायक स्पीकर के सामने कल पेश हो जाते हैं तो क्या वो इस्तीफों पर तुरंत फैसला लेंगे।
बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि सुरक्षा कारण से विधायक भोपाल नहीं जाना चाहते।