आस्था

इस मंदिर में विराजमान हैं 33 कोटि देवी-देवता, भगवान राम ने स्वयं की थी मंदिर की स्थापना

  • इस मंदिर में विराजमान हैं 33 कोटि देवी-देवता, दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं कष्ट
  • भगवान राम ने स्वयं की थी मंदिर की स्थापना, दूर दूर से आते हैं श्रद्धालु
  • संगम स्नान के बाद दर्शन मात्रा से होती हैं मनोकामनाएं पूर्ण , हर साल पहुँचते हैं लाखों लोग

तीर्थ नगरी प्रयागराज अपनी धार्मिक पहचान की वजह से देश दुनिया में बहुत ही फेमस है. यहां पर स्थित संगम एवं उसके आसपास स्थित धार्मिक मंदिरों की महिमा का गुणगान पूरी दुनिया में किया जाता है. इसी संगम के पास स्थित है प्राचीन अक्षय वट मंदिर. यहां आप एक साथ 33 कोटि देवी-देवताओं के दर्शन कर सकते हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से साधक के सभी दु:ख दूर और पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

संगम किनारे स्थित अकबर का किला में यह अक्षय वट मंदिर है. जिसमें हिंदू धर्म से जुड़े 33 कोटी के देवी देवताओं की मूर्तियों को स्थापित किया गया है. इन देवी देवताओं में यमराज, कालिया नाग, मां पार्वती की गोद में बैठे गणेश भगवान, जामवंत ,भगवान विष्णु का नरसिंह में अवतार ,भगवान भोलेनाथ, मां सरस्वती, मां कालरात्रि, भगवान बुद्ध, हनुमान महावीर, स्वामी शिवलिंग आदि देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं. इसके साथ यहां पर ऋषि दुर्वासा एवं भारद्वाज मुनि की भी मूर्तियां मंदिर में स्थापित की गई हैं.

मंदिर के मुख्य पुजारी रविंद्र प्रधान जी बताते हैं कि इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि यहां आने वाले भक्तों एवं श्रद्धालुओं के सभी दुख दूर हो जाएं. इस मंदिर में प्रवेश मात्र से काल सर्प दोष, पाप एवं ग्रह नक्षत्र से उत्पन्न संकट दूर हो जाते हैं. प्रयागराज का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो पृथ्वी के भूगर्भ में स्थित माना जाता है. यहां दर्शन के लिए मुख्य छत से 30 फीट अंदर बनी सीढ़ियों से मंदिर के गर्भ गृह में जाना पड़ता है.

अक्षय वट मंदिर में आज भी अक्षय वट वृक्ष मौजूद हैं, ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष को भगवान राम वन जाते समय लगा गए थे. रविंद्र प्रधान बताते हैं कि संगम स्नान करने के बाद इस मंदिर में एक साथ सभी देवी देवताओं के दर्शन करने से ही संगम स्नान पूर्ण माना जाता है. यह मंदिर सुबह 7:00 बजे से भक्तों के लिए खुल जाता है और रात 8:00 बजे तक खुला रहता है. अभी मंदिर में निर्माण कार्य चलने के कारण भक्तों को थोड़ी समस्या उठानी पड़ रही है, लेकिन कोई भक्त बिना दर्शन किए वापस नहीं जा रहा है.

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