महिला प्रधान वे फ़िल्में जो यादगार हो गईं
१- ‘मदर इंडिया’ नरगिस की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म है। ऑस्कर के लिए भेजी गई भारत की पहली फ़िल्म। ऐसे लार्जर दैन लाइफ चरित्र को निभाने का अवसर भाग्य से मिलता है।
२- ‘बंदिनी’ में नूतन का कमाल का अभिनय इस लाजवाब फिल्म की जान है।
३- ‘साहब बीवी और गुलाम’ में छोटी बहू का किरदार निभाकर मीना कुमारी अमर हो गईं। गुरुदत्त की बेहतरीन फिल्म जिसे सिर्फ मीना कुमारी के लिए देखा जा सकता है।
४- ‘मुगल-ए-आजम’ में मधुबाला को ‘अनारकली’ का बेहद सशक्त पात्र अभिनीत करने का जैसा सुअवसर मिला वैसा सबको नसीब नहीं होता। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और मधुबाला ने यादगार रोल निभाए हैं।
५- ‘थप्पड़’ में तापसी पन्नू को बेहतरीन रोल मिला है। पन्नू ने इस लाजवाब फिल्म में दर्शकों को बिलकुल निराश नहीं किया है।
६- ‘अर्थ’ में शबाना आजमी अपने उरूज पर हैं। यद्यपि शबाना जी ने सभी फिल्मों में हमेशा ग़ज़ब की एक्टिंग की है परंतु इस फ़िल्म में उन्होंने सबको पीछे छोड़ दिया है।
७- ‘’खामोशी’ को वहीदा रहमान की सबसे अच्छी फिल्म कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
८- ‘राज़ी’ में आलिया भट्ट अपने बेहतरीन फॉर्म में हैं। उनमें असीम प्रतिभा है जिसका दोहन जरूरी है।
९- ‘छपाक’ और दीपिका पादुकोण जैसे एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। एक ज्वलंत समस्या पर बनी उम्दा फिल्म।
१०- ‘कहानी’ की विद्या बालन को कैसे भुलाया जा सकता है? नारी पात्र के सशक्त चित्रण वाली इस फ़िल्म को मिली लोकप्रियता का श्रेय जितना निर्माता-निर्देशक को है, उससे कम विद्या बालन को नहीं है।
अपनी इस सूची को बढ़ाता तो वैजयंती माला की ‘साधना’, रेखा की ‘उमराव जान’, तब्बू की ‘चाँदनी बार’, स्मिता पाटिल की ‘भूमिका’ को भी शामिल करता।
रमेश रंजन त्रिपाठी