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इस श्रापित पहाड़ पर नवरात्र में क्यों आती हैं माँ विंध्यवासिनी ?

बुंदेलखण्ड के बांदा जनपद के खत्री पहाड़ पर मां विंध्यवासिनी के विराजमान होने की पौराणिक मान्यता है। लोगों का मानना है कि भार सहन करने में असमर्थता जाहिर करने पर क्रोधित होकर देवी मां ने पहाड़ को कोढ़ी होने का श्राप दिया था। पहाड़ के उद्धार के लिए नवरात्र में देवी मां सिर्फ एक दिन ही यहां विराजमान होती हैं।

मां विंध्यवासिनी का विशाल मंदिर.

बांदा। बुंदेलखण्ड के बांदा जनपद के खत्री पहाड़ पर मां विंध्यवासिनी के विराजमान होने की पौराणिक मान्यता है। लोगों का मानना है कि भार सहन करने में असमर्थता जाहिर करने पर क्रोधित होकर देवी मां ने पहाड़ को कोढ़ी होने का श्राप दिया था। पहाड़ के उद्धार के लिए नवरात्र में देवी मां सिर्फ एक दिन ही यहां विराजमान होती हैं।

बुंदेलखण्ड में बांदा जनपद के गिरवां थाना क्षेत्र के दुर्गम इलाके में स्योढ़ा गांव के खत्री पहाड़ की चोटी पर मां विंध्यवासिनी का विशाल मंदिर है. यहां नवरात्र के अवसर पर बड़ा ही प्रसिद्ध मेला लगता है. दूर-दराज से लोग अपने बच्चों के मुंडन के अलावा अन्य मुराद पूरी होने पर ध्वजा-नारियल का चढ़ावा चढ़ाने आते हैं.

देवी मां के श्राप से यह पहाड़ कोढ़ी यानी सफेद हो गया था.

देवी मां के इस सफेद पहाड़ पर विराजमान होने की पौराणिक मान्यता एक से किंवदंती पर आधारित है. लोगों का मानना है कि देवी मां के ही श्राप से यह पहाड़ कोढ़ी यानी सफेद हो गया है. पनगरा गांव के बुजुर्ग ब्राह्मण पंडित बद्री प्रसाद दीक्षित बताते हैं कि मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर में विराजमान होने से पहले इस खत्री पहाड़ पर ही आई थीं. लेकिन पहाड़ ने उनका भार सहन कर पाने में असमर्थता दिखाई थी. जिससे देवी माँ क्रोधित हो गईं और पहाड़ को कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया. तभी से पहाड़ की पूरी चट्टानें सफेद हो गई हैं.

बताते हैं कि देवी मां के श्राप से भयभीत होकर पहाड़ विनम्रता से श्राप वापस लेने की विनती की तो मां ने उसके उद्धार के लिए नवरात्र में अष्टमी तिथि को मिर्जापुर मंदिर का आसन [स्थान] त्याग कर यहां आने का वचन दे दिया था. यही वजह है कि अष्टमी को यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. विंध्यवासिनी मंदिर के पुजारी पंडित गयादीन महाराज बताते हैं कि नवरात्र में अन्य तिथियों की अपेक्षा अष्टमी की भोर से ही मां की प्रतिमा में अजीब सी चमक प्रतीत होती है, जो मां के यहां विराजमान होने का संकेत है.

लोगों की मानें तो बुंदेलखंड के श्रद्धालु की यहां अष्टमी तिथि तक हजारों की संख्या पार हो जाती है. मंदिर परिसर में एक छोटा-सा होटल चलाने वाले कंधी चौरसिया का कहना है कि देवी मां के दर्शन के लिए इतनी भीड़ उमड़ती है कि एक नवरात्र की आमदनी में उसके परिवार का छह माह का खर्च आसानी चल जाता है। वह बताते हैं कि श्रद्धाभाव से आए हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है. मां के दरबार से कोई निराश नहीं जाता.

रिपोर्ट :- आश अनुरुद्ध

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