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गिद्ध दिवस: पौराणिक कथाओं का अहम हिस्सा है गिद्ध – मानव ऑर्गेनाइजेशन

पौराणिक कथाओं का अहम हिस्सा है गिद्ध : मानव ऑर्गेनाइजेशन
देवगढ़ के जंगल के 1200 हेक्टेयर में फैला है गिद्ध रेस्टोरेंट

गिद्ध राज जटायु रामायण का एक प्रसिद्ध पात्र है। जब रावण सीता का हरण करके लंका ले जा रहा था तो जटायु ने सीता को रावण से छुड़ाने का प्रयत्न किया था। इससे क्रोधित होकर रावण ने उसके पंख काट दिये थे जिससे वह भूमि पर जा गिरा। जब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते-खोजते वहाँ पहुँचे तो जटायु से ही सीता हरण का पूरा विवरण उन्हें पता चला।

अबिरल भगति मागि बर
गीध गयउ हरिधाम।
तेहि की क्रिया जथोचित
निज कर कीन्ही राम॥32॥
मानव ऑर्गनाइजेशन कई वर्षों से उस पौराणिक गिद्ध को बचाने का प्रयास कर रही है।
भारत में तेजी से कम होती गिद्धों की संख्या गंभीर चिंता का विषय है और सरकार को इन मुर्दाखोर पक्षियों के संरक्षण के लिए तत्काल ध्यान देने की जरूरत है ताकि पर्यावरण साफ– सुथरा बना रह सके और रेबीज और इसके जैसी अन्य घातक बीमारियों से होने वाली मौतों से बचा जा सके।देवगढ़ के जंगल के 1200 हेक्टेयर में फैला है गिद्ध रेस्टोरेंट जो गिधराज जटायु के संरक्षण के उद्देश्य से बनाया गया था।

इसे संरक्षित करने के उद्देश्य से वैश्विक महामारी के चलते मानव ऑर्गेनाइजेशन ने इस बार वर्चुअल तरीके से अन्तर्राष्ट्रीय गिद्ध दिवस मनाया। बच्चों ने गिद्ध की पेंटिंग बनाकर इनके संरक्षण का संदेश दिया। वर्चुअल कार्यक्रम में नेहरू महाविद्यालय के प्रवक्ता डा.राजीव कुमार निरंजन ने बताया कि गिद्धों को भले ही हीन दृष्टि से देखा जाता रहा है। लेकिन अब जब उनकी प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं तो समाज को उनका महत्व पता चल रहा है। उत्तर प्रदेश का पहला गिद्ध रेस्टोरेंट जनपद ललितपुर के महावीर वन्य जीव विहार में खोला गया था जिसकी देखभाल का जिम्मा कैमूर वन प्रभाग मिर्जापुर पर है। इनके डीएफओ बुन्देलखण्ड में चित्रकूट में बैठते है वहीं से इसका संचालन किया जाता है। हालाँकि देवगढ़ में एक चौकी बनी हुई है, जहाँ वाइल्ड लाइफ कर्मी (वन्य जीव प्रतिपालक) इसकी देखरेख करते है। यह चौकी भी सुविधाओं व संसाधनों की कमी से जूझ रही है। यहा न तो मानक के अनुसार कर्मचारी है और न ही जानवर पकडऩे के संसाधन। रामपुर से वर्चुअल प्रतिभाग करते हुए भारतीय जैव विविधता संस्थान की अध्यक्ष डा.सोनिका कुशवाहा ने बताया कि गिद्धों के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं है और वो इस पक्षी का महत्व नहीं समझते जबकि ये बहुत जरूरी है। शहरीकरण से गिद्धों के रहने की जगह भी खत्म हो गई है। बहुत भ्रांतियां भी हैं जिसके कारण इनका अवैध शिकार भी होता है। मादा गिद्ध पूरे साल में केवल एक अंडा देती है। लोग उसे भी अंधविश्वास के कारण घोंसले से निकाल लाते हैं।

एड. पुष्पेन्द्र सिंह चौहान

मानव ऑर्गनाइजेशन के पर्यावरणविद एड पुष्पेन्द्र सिंह चौहान कहते है कि गिद्ध हमारी पौराणिक कथाओं का अहम हिस्सा है। इनको संरक्षित करने के उद्देश्य से झाँसी मण्डल में इकलौता महावीर वन्य जीव विहार की स्थापना की गई लेकिन यह भी सुविधाओं व संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। महावीर वन्य जीव विहार का उद्देश्य बड़े पैमाने पर गिद्धों की सुरक्षा और संरक्षण करना है। ग्राम सैपुरा के पास एक स्थान पर जंगल में गिद्ध रेस्ट्रॉण्ट बना है। यहाँ एक बड़े क्षेत्र को बाउण्ड्री से घेरकर गिद्धों को भोजन, पानी का इंतजाम किया जाता था, इसके तहत मृत जानवरों को यहाँ फेंका जाता था, लेकिन मौजूदा समय में यह बदहाल है। सेंचुरी में सुविधायें व संसाधन बढ़ाने से गिद्ध संरक्षण को भी नये पंख लगेंगे। संयुक्त रूप मनाए इस अन्तर्राष्ट्रीय गिद्ध दिवस पर बच्चो ने पेंटिंग बनाकर कर भेजी जिसके आराध्या सिंह और प्रियांशी की पेंटिंग को सराहा गया। इस वर्चुअल संरक्षण कार्यक्रम में एड राजेश पाठक, स्वतंत्र व्यास, अमित लखेरा, रविंद्र प्रताप, सचिन जैन, आशीष साहू, बलराम, ऋषि हीरानंदानी, एड शेरसिंह यादव ने प्रतिभाग किया।

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