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MP में डेड बॉडी ले जाने को नहीं मिलते वाहन : शर्मसार करतीं हैं बाइक और ठेले पर शव ले जाने की ये तस्वीरें.

इन दिनों मप्र के अलग-अलग जिलों से शवों की बेकद्री की तस्वीरें सामने आ रही हैं। मौत के बाद डेड बॉडी को घर तक ले जाने के लिए परिजनों को वाहन नहीं मिल पा रहे हैं। इस वजह से परिजन हाथ ठेले और बाइक पर शव ले जाते नजर आ जाते हैं। देखिए ऐसी ही कुछ तस्वीरें…

10 सितंबर 2022
अस्पताल में बच्चे की मौत, बाइक पर ले जाना पड़ा शव

शव ले जाने के लिए वाहन न मिलने का ताजा मामला पन्ना जिले का है। जहां सिमरिया थाना क्षेत्र के ग्राम राजपुर निवासी सौरभ चौधरी (5) पिता फुलारे चौधरी की डबल निमोनिया की वजह से तबीयत बिगड़ गई थी। उसे परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां शुक्रवार की दोपहर बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद परिजन ड्यूटी डॉक्टर और स्टाफ से शव वाहन की मांग करते रहे, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। करीब एक घंटे इंतजार के बाद फुलारे अपने बच्चे के शव को कलेजे से लगाकर बाइक से 80 किमी दूर गांव राजपुर के लिए चल दिए। बता दें कि जिला अस्पताल के साथ ही नगर पालिका के पास भी शव वाहन उपलब्ध है। इसके बाद भी लोग परेशान होते हैं।

शव वाहन नहीं मिलने पर परिवार बच्चे के शव को बाइक पर लेकर अपने घर गया।

31 जुलाई 2022
पटिया खरीदकर मां के शव को बाइक पर बांधकर ले जाना पड़ा

अनूपपुर के गोडारू गांव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को सीने में तकलीफ होने की वजह से परिजनों ने जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। जहां जयमंत्री की हालत में सुधार न होने के कारण रात 11 बजे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर दिया गया। उपचार के दौरान रात 2.40 बजे उसकी मौत हो गई। मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में लापरवाही पूर्वक इलाज किया जा रहा था। जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था। जब नर्स से मरीज को देखने की बात कही गई तो एक इंजेक्शन व एक बॉटल लगा दी गई।

दो बेटे पटिया के सहारे बाइक पर मां का शव बांध कर ले गए।

सुंदर आगे कहते हैं, इंजेक्शन के बाद मां का स्वास्थ्य और बिगड़ने लगा था। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज लेकर आए, जहां दो घंटे बाद मां की मौत हो गई। सुंदर ने बताया कि उन्होंने शव वाहन के बारे में पता किया, लेकिन अस्पताल में शव वाहन ही नहीं था। प्राइवेट शव वाहन वालों से बात की तो 5 हजार रुपए मांगे। इतने पैसे उनके पास नहीं थे। काफी मिन्नतें की, लेकिन फिर भी किसी का दिल नहीं पसीजा। मां के शव को बाइक से ही घर ले जाने का निर्णय लिया। 100 रुपए का एक पटिया खरीदा और डेड बॉडी को बांधकर बाइक से 80 किलोमीटर दूर अपने गांव ले गए।

3 सितंबर 2022
नदी में डूबे युवक का शव बाइक पर ले जाना पड़ा

सीहोर और शाजापुर जिले के बीच निकली पार्वती नदी में नहाते समय हसीम (28) डूब गया। वह ग्राम चायनी थाना कालापीपल का रहने वाला था। इस दौरान उसके साथ नहा रहे अन्य बच्चे और युवकों ने शोर मचाया, जिसके बाद ग्रामीणों की भीड़ लग गई। सूचना मिलने पर शाजापुर जिले के कालापीपल और सीहोर से मंडी पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों जिले की एनडीआरएफ की टीम पहुंची। 30 सदस्यीय दल ने रेस्क्यू कर शव को पानी से बाहर निकाला और परिजनों को सौंप दिया, लेकिन पीएम के लिए अस्पताल ले जाने के लिए कोई शव वाहन परिजनों को नहीं मिला। मजबूर होकर परिजन शव को बाइक पर ले गए। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

सीएम के गृह जिले में परिजन शव को बाइक पर ले गए।

9 जून 2022
PWD मंत्री के कस्बे में ठेले पर ले जाना पड़ा शव

प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के गृहनगर सागर जिले के गढ़ाकोटा के अंबेडकर वार्ड के रहने वाले बिहारी की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। बिहारी के बड़े भाई भगवान दास ने बताया कि छोटे भाई के सीने में तेज दर्द हुआ था। हम उसे तुरंत गढ़ाकोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शव घर ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से बात की। व्यवस्था न होने की बात कहकर मना कर दिया। परिजनों ने कई वाहन वालों से भी बात की, लेकिन शव को ले जाने के लिए सभी ने मना कर दिया। तब जाकर मजबूरी में एक हाथ ठेला लेकर छोटे भाई बिहारी का शव घर ले गए।

28 अप्रैल 2021
ठेले पर ले जाना पड़ा कोरोना संक्रमित शव

दमोह जिले के पथरिया नगर के वार्ड 9 की निवासी कलावती विश्वकर्मा (45) की तबीयत खराब होने के चलते परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। यहां महिला की तबीयत में सुधार न होने पर परिजन ने डॉक्टरों से दमोह रेफर करने के लिए भी कहा, लेकिन स्टाफ ने यह कहकर मना कर दिया कि दमोह अस्पताल में जगह नहीं है। इनका इलाज यहीं किया जाएगा। इसी बीच, रात करीब 8.30 बजे कलावती ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। मौत के बाद परिजन शव ले जाने के लिए सरकारी एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे। जब गाड़ी नहीं आई, तो परिजन ने निजी वाहन से शव घर ले जाने की बात कही, लेकिन निजी वाहन चालक ने 5 हजार रुपए किराया मांगा। मजबूरी बस परिजन महिला का शव हाथ ठेले पर रखकर घर पहुंचे।

ठेले पर कलावती का शव ले जाते परिजन
वाहन नहीं मिला तो बाइक पर शव को लेकर घर पहुंचे।

12 मई 2021 : बाइक पर ले गए आदिवासी युवक का शव

उमरिया जिले के पतौर गांव में सहजन कोल (35) को अचानक पेट में दर्द होने लगा। जिसे इलाज के लिए मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। परिजन ने बताया कि सहजन को पीलिया था। ड्यूटी डॉक्टर ने मरीज की हालत देखकर ड्रिप लगाकर इलाज शुरू किया। लेकिन हालत सही न होने के कारण मरीज को तत्काल जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। परिजन ऑटो की व्यवस्था कर रहे थे। इसी बीच मरीज की मौत हो गई। शव को घर ले जाने निजी वाहन की व्यवस्था न होने पर बाइक से ही ले जाना पड़ा.

विभागों के बीच उलझता है मामला
किसी भी दुर्घटना के बाद लोग मदद के लिए 108 एम्बुलेंस के कॉल सेंटर पर फोन करते हैं, लेकिन एम्बुलेंस के कर्मचारी मृतक को ले जाने से मना कर देते हैं। एम्बुलेंस कर्मियों का कहना होता है कि उनका काम घायलों और जीवित मरीजों की मदद कर जान बचाना है। शव ले जाने का काम नगर निगम, नगर पालिका का है। ऐसे में मौत के बाद भी शव ले जाने के लिए वाहनता।


भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बडे़ शहरों में शव वाहन नगर निगम से मिल जाते हैं, लेकिन प्रदेश के दूसरे जिलों में स्थिति बहुत खराब हैं। मौत के बाद शव को घर तक ले जाने के लिए परिवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नगर पालिका और नगर निगम वाले क्षेत्रों में कई जिलों और निकायों और अस्पतालों में शव वाहन तो है, लेकिन उनके संचालन के लिए स्थाई ड्राइवर, डीजल और स्टाफ का इंतजाम नहीं हैं। अस्पतालों और निकायों में अस्थाई ड्राइवरों से वाहन चलवाए जाते हैं, लेकिन जरूरत के वक्त कभी ड्राइवर उपलब्ध नहीं होता तो कभी शव वाहन में डीजल नहीं होता।

इस मसले पर कांग्रेस बोली- छत्तीसगढ़ से ट्यूशन पढ़ लें, समाधान मिल जाएगा
मप्र में लगातार मृतकों को शव वाहन न मिलने की घटनाओं पर कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा कहते हैं कि मप्र सरकार प्रधानमंत्री और योगी आदित्यनाथ की नकल बहुत करते हैं, लेकिन अपने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस की सरकार है। उनकी नकल नहीं कर पा रहे हैं। इंसानियत के नाते उनसे कुछ सीख लें। छत्तीसगढ़ में अंतिम संस्कार के लिए एम्बुलेंस सरकार मुहैया करा रही है। यहां मरीजों को एम्बुलेंस नहीं मिल रही है और छत्तीसगढ़ में मृतकों को अंतिम संस्कार के लिए एम्बुलेंस मुहैया करा रही है। मप्र सरकार को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से इस मामले पर ट्यूशन कर लें तो समाधान मिल जाएगा

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