मूलभूत सुविधाओ से बंचित है तहसील के आधा दर्जन ग्राम
रिपटा न होने से शिक्षा के लिए छोटे छोटे बच्चे निकलते है नावों से
मऊरानीपुर: सबका साथ सबका विकास का नारा मोदी सरकार ने दिया जरूर था लेकिन यह नारा मध्यप्रदेश कि सीमा से सटे मऊरानीपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले आधा दर्जन गांवो पर लागू नहीं होता है. बीजेपी सरकार केंद्र मे दुवारा और वर्तमान मे राज्य मे भी सरकार चला रही है फिर भी इन ग्रामों मे विकास के कोई कार्य नहीं हुए है. न गाँवो मे शिक्षा के लिए कोई योजना के अंतर्गत उच्च शिक्षा के लिए विद्यालय खोले गये, न आवागमन के लिए सड़कें न नदी पर रिपटा, जो आजादी के समय मे इन गांवों की तस्वीर थी लगभग वही स्थिति आज भी दिखाई देती है. कुछ ग्रामों मे पांचवी से लेकर आठवीं तक प्राथमिक विद्यालय जरूर खुल गये है. आठवीं बाद शिक्षा के लिए इन ग्रामों के बच्चों को पढ़ने के लिए गाँव से नदी पार करके लगभग 10 किलोमीटर दूर भंडरा जाना पड़ता है. अब ऐसे मे नदी से रोज रोज नाव द्वारा निकलना किसी खतरे से कम नहीं होता है. नावों मे भी वेहिसाब सवारी मय मोटरसाइकिल और साइकिलों के साथ निकलते देखें जा सकते है. वही पढ़ने जाने बाले बच्चों का आधा समय नदी मे नाव के इंतजार मे निकल जाता है.
ये हालत मऊरानीपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले बिरगुआ,खकौरा, कुंवरपुरा आदि ग्रामों के है, जहाँ की 70 प्रतिशत आबादी जिला मुख्यालय या तहसील जाने के लिए साल भर नाव का सहारा लेना पड़ता है,या फिर 20 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. अब सवाल यह है कि इन ग्रामों मे उच्च शिक्षा हेतु न कोई स्कूल, कालेज है केवल आठवीं तक विद्यालय है ऐसे अगर बच्चो को पढ़ने के लिए है गाँव से दूर जाना है तो एक मात्र विकल्प नाव से जाना पड़ेगा क्योंकि कदौरा घाट पर जो पुल बना है उससे जाने का मतलब है 2 घंटे अतिरिक्त समय. ऐसे मे इन ग्रामों मे बच्चे 8 पास करके शिक्षा से दूरी बना लेते है क्योंकि ऐसे मे इन ग्रामों मे अगर किसी की अचानक रात के समय मे गंभीर रूप से तबीयत ख़राब हो जाती है तो इन ग्रामों से तहसील को जोड़ने बाले राष्ट्रीय राजमार्ग झाँसी खजुराहो जाने मे लगभग 2 घंटे से भी ज्यादा समय लग जाता है. नदी पर रिपटा न होने की बजह से इन ग्रामों से स्थाई रूप से कोई साधन नही चलते है. स्थानीय ग्रामीण किसी तरह अपनी मोटर साईकिल को नाव पर रखकर पार करते है. जबकि अगर नदी पर रिपटा बना जाये तो गाँव से राष्ट्रीय राजमार्ग तक पहुंचने मे 25 मिनट से भी कम समय लगेगा, इसके अलावा विरगुआ मोज़े की कई किसानो कई ज़मीन भी नदी पार पड़ती है जिससे किसानो को प्रतिदिन नाव से नदी को पार करना पड़ता है। नदी पार कुछ किसानो, स्थानीय ग्रामीणों ने बताया लोकसभा, विधानसभा चुनाव के समय ग्रामों मे आकर जनप्रतिनिधिओ द्वारा वादे तो हर बार किये जाते है लेकिन चुनाव के बाद सरकार बन जाने के बाद नेताजी को पांच साल इन ग्रामों मे रिपटा की बात तो दूर कभी चर्चा करना भी मंजूर नहीं है. कुछ वर्ष पूर्व यहां बिरगुवा घाट पर प्रस्तावित पुल को कदौराघाट पर बनवा दिया गया जिससे इन ग्रामों के वासिंदो को कोई खास फायदा नहीं हुआ,उन्हें आज भी नाव के द्वारा ही गाँव से बाहर जाना पड़ता है,। वही विरगुआ, खकोरा, भानपुरा कुंवरपुरा आदि ग्रामों के निवासियों ने शासन से यह माँग कि है रिपटा, सड़क, शिक्षा आदि मूलभूत सुविधाओ पर अपना ध्यानाआकृष्ट करने की मांग की है।
राजीव दीक्षित- मऊरानीपुर