ललितपुर: सहरिया समुदाय को जाति प्रमाण पत्र जारी करे शासन
*सहरिया समुदाय को जाति प्रमाण पत्र जारी करे शासन
*मानव आर्गेनाइजेशन व अधिवक्ता संवाद ने मण्डलायुक्त व डीएम से संज्ञान लेने की उठायी मांग
जाखलौन (ललितपुर)। उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा जनपद ललितपुर है। जहां पर सहरिया समुदाय के तबके के लोग अधिक संख्या में निवासरत हैं और वह लोग मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का भरण पोषण कर के जीवन यापन करते हैं। कुछ ही परिवार ऐसे हैं जो अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर सक्षम बनाना चाहते हैं एवं नौकरी कराना चाहते है। लेकिन अब प्रदेश सरकार द्वारा इनको अनुसूचित जनजाति से हटाकर अनुसूचित जाति में कर दिया गया है। जो सहरिया जाति के साथ घोर अन्याय है। यदि सहरिया जाति को अनुसूचित जनजाति से हटाकर अनुसूचित जाति में कर दिया जाता है तो इससे इस जाति के लोग ना तो अब सरकारी नौकरियों में पहुंच सकेंगे और न हीं अन्य आरक्षित वर्ग की योजनाओं का लाभ ले सकेंगे क्योंकि अनुसूचित जाति के पद पहले से ही भरे होते हैं केवल अनुसूचित जनजाति के पद रिक्त पड़े रहते थे जिससे इस समुदाय के लोग पढ़ लिख कर उक्त पदों पर आसानी से पहुंच जाते थे। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में अब तक सहरिया समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति में आते थे और अनुसूचित जनजाति का ही उनको जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाता था किंतु पिछले कुछ दिनों से प्रदेश सरकार द्वारा सहरिया जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा कर अनुसूचित जाति में कर दिया गया है जिससे अब सहरिया जाति के लोगों के जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जनजाति के नहीं बन रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि अब सहरिया समुदाय को न तो अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं और न ही अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। मालूम हो कि इस संबंध में लेखपालों का कहना है कि सहरिया समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दिया गया है और अनुसूचित जाति में जोड़ दिया गया है किंतु शासनादेश न आने के कारण अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है और ना ही अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी हो रहा है। गौरतलब हो कि प्रदेश में बसी यह सहरिया जनजाति अत्यंत भोली भाली व गरीब तबके की होती है और इस जाति के प्रमाण पत्र ना तो अब अनुसूचित जनजाति के बन रहे हैं और ना ही अनुसूचित जाति के बन रहे हैं। इससे इस समुदाय के लोगों को काफी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है जो एक चिंता का विषय है। मालूम हो कि कहने को तो प्रदेश व जिले में सहरिया जनजाति के अधिकारों की लड़ाई लडऩे के लिए तमाम लोग तैयार रहते हैं लेकिन इस ओर किसी भी समाजसेवी, बुद्धिजीवी और राजनेता का ध्यान ना जाना अपने आप में चिंता का विषय है। पर्यावरण व पक्षी प्रेमी संस्था मानव ऑर्गेनाइजेशन व अधिवक्ता संवाद शासन प्रशासन से मांग करती है कि सहरिया समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए अबिलंब इनके जाति प्रमाण पत्र जारी कराए जाएं और वह भी पूर्व की भांति अनुसूचित जनजाति के ही जारी कराए जाएं ताकि इस भोली भाली सहरिया समुदाय की जनता को कोई परेशानी ना हो सके। मांग करने वालों में शेर सिंह यादव एड., पुष्पेंद्र सिंह चौहान एड.,अंकित जैन बंटी एड., रविंद्र घोष एड., आशीष साहू, आकाश संज्ञा, रामनरेश सेन, अरविंद सिंह परमार आदि शामिल रहे।