ललितपुर। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा विगत कुछ समय से शिक्षकों के प्रति इस प्रकार के नियम-कायदे बनाए जा रहे हैं। जो सरासर अव्यवहारिक और शोषण की पूर्ति के उद्देश्य से परिपूर्ण हैं। हाल ही में शिक्षकों के मूल्यांकन को लेकर गोपनीय आख्या के लिए फरमान जारी हुआ है। इसमें कायाकल्प के तहत होने वाले कार्यों के लिए भी शिक्षकों के अंक निर्धारण किया जाना है। जबकि यह कार्य पंचायती राज विभाग द्वारा किए जाते हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ नें ऐसे तुगलकी फरमानों के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। जिलाध्यक्ष विनोद निरंजन का कहना है कि विद्यालयों में प्रधानाध्यापक कम्पोजिट ग्राण्ट से कार्य करता है। इसमें मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाना ही सम्भव नहीं होता। शासन को मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कार्य करना चाहिए। जबकि आए-दिन अध्यापकों के प्रति नकारात्मक आदेशों को निर्गत कर अनावश्यक रूप से शिक्षकों को आन्दोलन के लिए बाध्य किया जाता है। वार्षिक प्रवष्टि के लिए तय मानक सीधे तौर पर शिक्षक विरोधी हैं और ऐसी दुर्व्यवस्था का शिक्षक संघ पुरजोर विरोध करता है। उन्होंने इसे काले कानून की संज्ञा दी। जिला मन्त्री शकुंतला कुशवाहा ने कहा कि कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा को अध्यापकों की मान-मर्यादा का ध्यान रखते हुए और नीतियां निर्धारण करते समय शिक्षाविदों से विमर्श करने के उपरान्त आदेश पारित करना चाहिए। नीतियां व्यवहारिक और सकारात्मक होंगी, तो उनके अनुपालन में सरलता होगी। साथ ही सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे। जिला कोषाध्यक्ष अनिल त्रिपाठी नें कहा कि महानिदेशक के आदेश के अधिकांश बिन्दु पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। क्योंकि इससे शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है। अभिभावकों की स्थिति को न समझते हुए ई-लर्निंग को लेकर भी अंक निर्धारण करना सामाजिक शून्यता को दर्शाता है। शिक्षक नेताओं नें इस प्रकार के निर्णयों को वापिस लेने की मांग की। एवं इसी क्रम में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय नेतृत्व के आदेशानुसार सम्पूर्ण प्रदेश में इस काले कानून रूपी तुगलकी फरमान के विरोध में 4 फरवरी 2021 को जनपद ललितपुर में भी जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार एवं मंत्री बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश सरकार को सम्बोधित ज्ञापन जनपद मुख्यालय पर दिया जायेगा। अंत मे संघठन ने जनपद के सभी शिक्षक, शिक्षकाओं, शिक्षामित्रों, अनुदेशकोंआदि से अपील की कि अपने सम्मान एवं विभागीय तुगलकी फरमानों के विरोध में ज्ञापन कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में पधारकर कर्यक्रम को सफल बनायें। इस दौरान सतेंद्र जैन, अरुण सिंह, रामरक्षपाल सिंह, दिलीप राजपूत, राजीव गुप्ता, परशुराम, अरविंद सिंह, प्रशांत राजपूत, हरिश्चन्द्र नामदेव, इंदर सिंह, विनय ताम्रकार, रामसेवक निरंजन, संतोष सिद्दकी, महेंद्र विलगइयां, राजेन्द्र बबेले, हरिनारायण चौबे, हिमांशु मिश्रा, रजऊ राजा, गौरीशंकर सेन, दयाशंकर रजक, मनीष खरे, प्रफुल्ल जैन, दिवाकर शुक्ला, रामभरत, अरविंद रजक, नीलम ताम्रकार, नाहिद परवीन, डा.स्मिता जैन, देवी शंकर राजपूत, बली हुसैन, सुदेश भूषण, शुलभ जैन, गिरीश साहू, संजय सोनी, अविनेश, दीप्ति रानी गुप्ता, मुकेश बाबू, सुनील पुरोहित, संदीप नामदेव, राजेश अनुरागी, महेश सोनी, ज्ञान प्रकाश आदि मौजूद रहे।