जीत के लिए रण छोड़ना भी जरूरी है
राजेन्द्र ठाकुर पथरिया
बटियागढ़ ब्लॉक की कैथोरा गांव में ढोल ग्यारस पर प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी ठाकुर जी की शोभा यात्रा गांव के मुख्य मार्गों से निकाली गई यात्रा को लेकर साफ सफाई के प्रबंध किए गए घर-घर बंदनवार बांधे गए दीप प्रज्वलित करके प्रभु की आरती उतारी गई पुष्प फूल मालाओं से जगह जगह स्वागत किया गया यात्रा में ठाकुर जी की मूर्ति भक्तों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी यात्रा का शुभारंभ गांव के बड़े महाराज मंदिर सेे किया और कदम के पेड़ के पास बनेेे कुंड में जल बिहार किया गया पंडित राजकुमार मुन्ना गर्ग ने बताया कि यहां कृष्ण का एक नाम रणछोड़ क्यों है आप सुनकर हैरान होंगे कि हर प्रकार से सक्षम भगवान कृष्ण अपने शत्रु का मुकाबला ना कर मैदान छोड़ कर भाग गए। दरसल जब मगध के शासक जरासंध ने कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा तो कृष्ण जानते थे कि मथुरा में उसका मुकाबला करने में समझदारी नहीं है इसीलिए उन्होंने ना सिर्फ स्वयं बल्कि भाई बलराम और समस्त प्रजाजनों सहित उसे छोड़ देने का निर्णय किया। इसके बाद वे सब द्वारका की ओर बढ़ने लगेमैदान से भागते हुए कृष्ण को देख कर जरासंध ने उन्हें रणछोड़ नाम दिया, जो रण यानि युद्ध का मैदान छोड़कर भाग रहे हैं।
इसका सारांश मानव जीवन को कृष्ण भगवान ने यह दिया कि जब आपको जीतना हो तो कभी कभी हालातो से समझौता भी करना पड़ता है उसमें ही सफलता मिलती है