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भव्य एवं दिव्य श्रीराम मन्दिर तीन साल में बनकर हो जायेगा तैयार, 3 दिन शेष

-भव्य एवं दिव्य श्रीराम मन्दिर तीन साल में बनकर हो जायेगा तैयार
-भूमि पूजन के पूर्व दुल्हन सी सजी रामनगरी
– अयोध्या का बुन्देलखण्ड से है बहुत खास नाता

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण की शुभ घड़ी बस 03 दिन दूर है। भारत ही नहीं अपितु विश्व के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले भारतीयों को भी उस पल की प्रतीक्षा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन करेंगे।
रामलला का मंदिर अब अपने मूल डिजाइन से आकार में दोगुना होगा। मंदिर नागर शैली में बनाया जाएगा और इसमें पांच गुंबद होंगे। पहले गुंबदों की संख्या दो रखी गई थी। पांच गुंबद होने से अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। मन्दिर का नक्शा तैयार करने वाले आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा के अनुसार, मंदिर को बनकर तैयार होने में तीन साल का समय लगेगा। मंदिर तीन मंजिला होगा और यह वास्तु शास्त्र के हिसाब से बनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंदिर के डिजाइन में संशोधन किया गया है अब यह पुराने मॉडल से लगभग दोगुने आकार में होगा। अब इसमें गर्भगृह के ठीक ऊपर शिखर होगा और 5 गुंबद होंगे। मंदिर की ऊंचाई भी पहले से अधिक होगी। उन्होंने कहा कि इसकी दो वजह हैं, एक मंदिर के लिए अब भूमि की कोई कमी नहीं होगी और दूसरा, इतना अधिक प्रचार प्रसार होने के चलते प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आएंगे। सोमपुरा मंदिरों का नक्शा तैयार करने वाले आर्किटेक्ट परिवार से आते हैं जो 200 से अधिक ऐसे निर्माण का डिजाइन बना चुके हैं, उनके पुत्र आशीष उनके साथ मंदिर निर्माण का काम देखेंगे। चंद्रकांत के पिता प्रभाशंकर सोमपुरा ने गुजरात के विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का डिजाइन तैयार किया था।
भूमि पूजन की तैयारियाँ मुख्यमंत्री योगी स्वयं अपनी देख रेख में करा रहे हैं, इन्हीं को परखने के लिए वह आज पुनः अयोध्या जाने वाले थे लेकिन अपरिहार्य कारणों से आज का दौरा टालना पड़ा है संभवतः कल वह अयोध्या का दौरा करेंगे। इसी बीच न्यूज एजेंसी एएनआई ने शनिवार को एक वीडियो साझा किया। इसमें रामलला की नगरी अयोध्या भूमि पूजन से पहले दिवाली सी जगमग हो गई है। सरयू के घाट से लेकर पूरे शहर को सजा दिया गया है। अयोध्या में चारों तरफ दीए जल रहे हैं। अयोध्या के कई हिस्से खूबसूरत रोशनी ने नहाए हुए नजर आए। सरयू घाट से लेकर कई अन्य स्थानों पर की गई लाइटिंग में अयोध्या अलग ही रूप में नजर आई।
अयोध्या में श्रीराम मन्दिर के शिलान्यास को लेकर बुंदेलखंड में एक अलग ही उत्साह का वातावरण है, हर्षातिरेक में मग्न रामभक्त बड़ी बेकली से उस पल की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यहाँ धर्म नगरी ओरछा में श्री राम को भगवान नहीं बल्कि यहाँ के महाराजा के रूप में पूजा जाता है। ओरछा के महाराजा मधुकर शाह की महारानी गणेश कुँवर अयोध्या से श्रीराम के विग्रह को पुष्य नक्षत्र में पैदल चलकर गोद में लेकर ओरछा लाईं परंतु रात्रि हो जाने के कारण भगवान राम को कुछ समय के लिए महल के भोजन कक्ष में स्थापित किया गया। लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति को उसके स्थान से हिला नहीं पाया। इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर। कहते हैं महाराज और महारानी ने विवाह पंचमी के दिन रामलला का विधि विधान से विवाह करने के पश्चात उनका राजतिलक किया और ओरछा का राज्य उनको भेंट कर दिया तभी से भगवान राम ओरछा के राजा राम हैं। यहां की मान्यता के अनुसार एक दोहा लोक प्रचलित है, जिसमें कहा जाता है कि, “रामराजा सरकार के दो निवास हैं खास, दिवस ओरछा रहत हैं, रैन अयोध्या वास।”   इसके अतिरिक्त अयोध्या में रामजन्मभूमि के बाद सबसे प्रसिद्ध और पावन मंदिर कनक भवन के वर्तमान भवन का निर्माण भी ओरछा के तत्कालीन महाराजा सवाई महेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी महारानी वृषभानु कुँवर ने 1891 में कराया था तब प्राचीन मूर्तियों की पुनःस्थापना के साथ श्री राम-सीता के दो नए विग्रहों की स्थापना भी की गई थी।

राजीव बिरथरे की रिपोर्ट

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