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मोहन्द्रा(पन्ना): राजनैतिक दबाब के बगैर जल्द साकार नहीं होगा नगर परिषद का सपना!

मोहन्द्रा- जुलाई 2018 में विधानसभा चुनावों के पूर्व जन आर्शीवाद यात्रा लेकर मोहंद्रा आये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थानीय लोगों की बहुप्रतीक्षित व अकेली मांग ‘‘ मोहंद्रा को नगर परिषद का दर्जा ‘‘ देने की घोषणा की। फलस्वरुप मुख्यमंत्री ने भी इस मांग को अपनी मंशानुसार सीएम माॅनिट ए प्लस पर दर्ज कर कार्यवाही हेतु नगरीय प्रशासन एवं शहरी विकास विभाग को प्रेषित किया। तब से आज तक संबंधित विभाग चार बार कलेक्टर पन्ना को कुछ विंदुओं में चाही गई जानकरी प्रस्ताव के साथ पूर्ण कर भेजने का अनुरोध कर चुका है। नगर परिषद का दर्जा दिलाये जाने की कार्यवाही के लिये इस बीच मुख्यमंत्री से पवई विधायक तो कलेक्टर से मोहंद्रा का एक प्रतिनिधि मंडल संबंधित कागजी कार्यवाही शीघ्र पूर्ण कराने मुलाकात कर चुका है। कलेक्टर से मिले प्रतिनिधि मंडल की अगुवाई करने बाले जनपद पंचायत पवई के पूर्व उपाध्यक्ष पारथलाल चौरसिया ने जानकारी देते हुये बताया कि नगर परिषद निर्माण के लिये 2011 की जनसंख्या को मापदंड बनाया जा रहा है। जिस लिहाज से आसपास की अन्य पंचायतों को जोड़कर ही नगर परिषद बनाया सकेगा। जिसके लिये प्रशासन व जनप्रतिनिधि प्रयासरत् है।
आखिर किन कारणों से लंबित है नगर परिषद का मामला जबकि ?
आबादी व क्षेत्रफल के लिहाज से जिले के सबसे बड़े गांवों में शुमार मोहंद्रा की जनगणना जिला योजना और सांख्यिकी विभाग पन्ना के मुताबिक 8349 व निर्वाचन शाखा पन्ना से प्राप्त मतदाता सूची के अनुसार 3 मार्च 2021 को 6701 मतदाता दर्ज है। जबकि इसी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीस साल पहले नगर परिषद का दर्जा पा चुके ककरहटी में 3 मार्च 2021 की सूची के मुताबिक मोहन्द्रा से पांच सौ मतदाता कम 6220 व हाल में नगर परिषद का दर्जा पाई गुनौर में तीनों गांवों पड़ेरी, सिली व गुनौर को मिला देने के बाद 9723 मतदाता दर्ज है। जबकि मोहंद्रा को मुख्यालय बनाकर आसपास के दो किमी. की परिधि को पैमाना बनाया जाये तो मोहंद्रा में 13210 मतदाताओं के मुकाबले अजयगढ़ में 11641, अमानगंज में 11085, देवेंद्रनगर में 10006 व पवई में 10602 मतदाता दर्ज है। तो आज की आबादी क्या होगी आंकलन किया जा सकता है। इन आकड़ो से यह भी स्पष्ट होता है कि नगर परिषद का जो दर्जा मोहंद्रा को सालों पहले मिल जाना चाहिये था वह आज भी नहीं मिला। सजग नागरिक हस्तक्षेप व रचनात्मक राजनैतिक नेतृत्व के आभाव में मोहंद्रा की उपेक्षा हमेशा होती रही है। नगर परिषद का दर्जा पा चुके इन नगरों के मुकाबले विकास के मामलों में मोहंद्रा आज कहां ठहरता है। स्थानीय लोगों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिये।
बीजेपी का गढ़ फिर विकास से बंचित क्यों
पूर्व के कई चुनावों सहित हाल में हुये विधान सभा व लोकसभा चुनावों में भारी बोटें पाने बाले बीजेपी के विधायक व सांसद के थोड़े से ही प्रयासों से नगर परिषद का दर्जा मिलना आसान हो जायेगा। ये दोनों ही जनप्रतिनिधिगण नगरीय प्रशासन व शहरी विकास विभाग के पत्र में चाही गई जानकारियों को शीघ्र पूर्ण कराने का जिम्मा अपने हांथों में लेकर स्थानीय लोगों का सपना साकार कर सकते है। ताकि मोहंद्रा व आसपास का क्षेत्र विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके।

✍️आकाश बहरे

 

 

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