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मध्यप्रदेश के इस प्राचीन शिव मंदिर में क्यों लटक रहे हैं ताले. जानिए क्या है पूरा मामला?

रायसेन के शिव मंदिर को लेकर मध्य प्रदेश में बयानबाजी जारी है. रायसेन के शिव मंदिर को लेकर पंडित मिश्रा का बयान आया था कि शिवराज सिंह के राज में भगवान शिव के मंदिर में ताले लगे हुए हैं.

रायसेन के सोमेश्वर महादेव.

कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का बयान.

पंडित मिश्रा ने कहा कि अगर शिवराज के राज्य में शिव शंकर कैद हैं तो फिर वह राज्य किसी काम का नहीं. भगवान शंकर कैद में हैं और तुम लड्डू खा रहे हो. अगर आसपास में तालाब हो तो तुम चुल्लू में पानी भर लाओ.

अब इस मुद्दे पर अक्सर अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर होने वाली उमा भारती का भी बयान सामने आया है.

उमा भारती का सोसल मीडिया पर बयान.

उमा भारती ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह मान्यता है कि नवरात्रि के तुरंत बाद के पहले सोमवार को शिव जी का अभिषेक करना चाहिए.

मैं शिव जी के किसी सिद्ध स्थान को तलाश ही रही थी कि नवरात्रि के बाद के 11 अप्रैल सोमवार को गंगोत्री से लाए हुए गंगाजल से अभिषेक करूं. अचानक कल मध्य प्रदेश के एक प्रतिष्ठित अखबार से रायसेन में कथा कर रहे प्रतिष्ठित कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी के हवाले से यह जानकारी मिली कि रायसेन के किले में एक ऐसा सिद्ध शिवलिंग है।

रायसेन के किले के नाम से ही मेरे अंतः में हूक उठती है. विश्व प्रसिद्ध प्रमाणिक इतिहासकार Abraham Eraly ने अपनी पुस्तक Emperors of the Peacock Throne में लिखा है कि किस तरह से रायसेन के राजा पूरणमल शेरशाह सूरी के विश्वासघात के शिकार हुए. किले के चारों तरफ घेरा डालकर शेरशाह सूरी ने राजा पूरणमल से संधि कर ली. फिर उनके परिवार एवं उनके सहायकों के टेंट को शेरशाह सूरी ने अपने अफगान सैनिकों के साथ घेर लिया तथा रात में राजा पूरणमल को घेर कर मार डाला. राजा पूरणमल बहुत बहादुरी से लड़े. मरने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी रानी रत्नावली के अनुरोध पर उनकी गर्दन काट दी ताकि वह वहशियों के शिकंजे में ना आ पावे. किंतु उनके दो मासूम बेटे एवं अबोध कन्या टेंट में एक कोने में दुबक गए थे. जहां से उनको इन वहशियों ने खींच कर निकाला था.

दोनों मासूम बेटे वहीं काट दिए गए एवं राजा पूरणमल की अबोध कन्या वैश्यालय को सौंप दी थी. जहां वह दुर्दशा का शिकार होकर मर गई।

जब भी मैं रायसेन के किले के आस पास से गुजरी यह प्रसंग मुझे याद आता था एवं बहुत दुःखी एवं शर्मिंदा होती थी। जब डॉ. प्रभुराम चौधरी के चुनाव प्रचार में मैंने एवं शिवराज जी ने रायसेन में एक साथ सभा की थी तब मैंने रायसेन के किले की ओर देखते हुए यह बात कही थी कि इस किले को देखकर मुझे बहुत कष्ट होता है और आज जब हमारा भाजपा का झंडा इसके सामने फहरा रहा है तो कुछ शांति होती है.

राजा पूरणमल के साथ हुई घटना नीचता, विश्वासघात एवं वहशीपन की याद दिलाती है. मुझे अपनी इस अज्ञानता पर शर्मिंदगी है कि मुझे उस प्राचीन किले में सिद्ध शिवलिंग होने की जानकारी नहीं थी.

मैंने अपने कार्यालय से कल कहा था कि रायसेन जिला प्रशासन को 11 अप्रैल, सोमवार को मेरे वहां जल चढ़ाने की सूचना दें.

जब मैं 11 अप्रैल, सोमवार को उस सिद्ध शिवलिंग पर गंगोत्री से लाया हुआ गंगाजल चढ़ाऊंगी तब राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली व उनके मार डाले गए दोनों मासूम बेटे एवं वहशी दुर्दशा की शिकार होकर मर गई अबोध कन्या एवं उन सब के साथ मारे गए राजा पूरणमल के सैनिक उन सबका मैं तर्पण करूंगी एवं अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी.

1975 में हुए एक आंदोलन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री पीसी सेठी ने आकर ताले खुलवाए थे लेकिन अब सिर्फ एक दिन शिवरात्रि को ही ताले खुलते हैं. दो दिन पहले कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने सरकार पर तंज कसा था कि शिवराज के राज में मंदिर में शिव बंद है. इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या होगी.

रिपोर्ट :- आश अनुरुद्ध

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