विश्व टीबी दिवस की थीम: क्लॉक इज टिकिंग
जनपद में हैं 1765 टीबी मरीज, 105 मरीज 0-18 वर्ष के
ललितपुर। टीबी एक संक्रामक रोग है जिसे तपेदिक और क्षय रोग भी कहते हैं। यह फेंफड़ों की बीमारी है यह सब जानते हैं लेकिन यह ऐसा बहरुपिया रोग है जो नाखून और बाल को छोड़कर कर कहीं भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि इस रोग के प्रति जागरूकता लाई जाये और 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो सके। ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के अनुसार टीबी रोग की आक्रामकता इस बात से ही समझी जा सकती है कि विश्व में 91.15 लाख टीबी के मरीज है और उसमें से 30 प्रतिशत मरीज 26.9 लाख मरीज सिर्फ भारत में ही है। अर्थात विश्व का हर चौथा रोगी भारतीय है। जिल क्षय रोग अधिकारी डा.जेएस बक्शी बताते हैं कि कामकाजी वर्ग के लोगों की इस रोग की चपेट में आने की संभावना ज्यादा होती है। टीबी के आने वाले केसेस में 15-60 वर्ष तक लोगों को टीबी होने की संभवाना ज्यादा होती है। यह वह वर्ग है जो कामकाज के लिए घर से बाहर निकलता है ज्यादा लोगों से मिलने से ही टीबी की संभावना बढती है। साथ ही टीबी रोग की बक्टेरिया हवाओं में मौजूद रहते है लेकिन यह कम प्रतिरक्षण क्षमता वाले लोगों को ज्यादा असर करता है। इसलिए जरूरी है कि लोगों को अपनी प्रतिरक्षण क्षमता मजबूत रखनी चाहिये। डा.जेएस बक्शी बताते हैं इस उम्र के लोगों को टीबी होने का मुख्य कारण है कुपोषण, बंद घरों में रहना और क्रेशर पर काम करना है। पहला कारण जब कोई कुपोषण का शिकार होता है तो उसका प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और उसे कोई भी गंभीर बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। दूसरा कारण बंद घरों में रहना अक्सर सीमित आय वर्ग के लोग इस तरह के घरों में रहते हैं जहां साफ पानी, शुद्ध हवा और धुप का आवागमन नहीं होता है। इस तरह घनी आबादी में रहने से टीबी रोग को फैलने की संभावना बढ़ जाती है। तीसरा कारण क्रेशर पर काम करने वाले लोग, यह लोग हाई रिस्क वाले श्रेणी में आते हैं। पत्थर के क्रेशर पर काम करने से पत्थर के सूक्ष्म कण मजदूरों के फेंफड़ों में चले जाते हैं। ऐसे काम करने वाले लोगों को मास्क का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
टीबी की रोकथाम के लिए क्या करें
खांसते व छींकते वक्त मूहं और नाक को कपड़े से ढ़कें, कहीं भी थूकने से बचें, नाली में थूकने के पानी से बहा दें, मास्क का उपयोग करें, टीबी रोगी को इलाज ना होने तक अलग कमरे में रखें।
मास्क से करें टीबी और कोरोना से बचाव
डा.जे.एस.बक्शी बताते हैं कि कोरोना और टीबी के लक्षण एक समान होते हैं और इनका संक्रमण दर ही एक समान फैलता है। इसलिए जरूरी है कि मजबूत प्रतिरोधक क्षमता के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित आहार लिया जाए। और साथ ही मास्क का प्रयोग बहुत जरूरी है यह टीबी के बेक्टेरिया से बचाता है साथ ही कोरोना से भी सुरक्षित रखता है। जिला कार्यकर्म समन्वयक शिव निरंजन बताते हैं इस वक्त जनपद में 1765 एक्टिव टीबी के मरीज हैं और इनमें से 105 मरीज 0- 18 वर्ष के हैं। प्रत्येक वर्ष विश्व टीबी दिवस 24 मार्च को मनाया जाता है। हर वर्ष इस दिवस की थीम निर्धारित होती है और इस वर्ष का थीम द क्लॉक इज टिककिंग (घड़ी चल रही है ) है। जो यह बताता है कि टीबी को विश्व से खत्म करने का समय नजदीक आ गया है। पिछले वर्ष 2020 को टीबी दिवस की थीम इट्स टाइम टू एंड टीबी, यह टीबी खत्म करने का समय है।