विश्व गौरया दिवस 2021
इंसानों की सच्ची दोस्त है नन्ही गौरैया: मानव ऑर्गेनाइजेशन
ललितपुर। कभी घर-आंगन में चहकने वाली गौरैया बेशक मौजूदा वक्त में कम नजर आती हो, लेकिन ललितपुर में अभी इसने प्रजनन क्षमता नहीं खोई है। अगर रहने के लिए प्राकृतिक घरौंदा मिल जाए तो वह दोबारा देश की शान बन सकती है। गांवों के नजदीक स्थित जंगलो के इर्द-गिर्द गौरैया की चहचहाहट से यह साबित भी होता है। मानव ऑर्गेनाइजेशन और गौरैया संवाद फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में कंपनी बाग मे विश्व गौरैया दिवस के उपलक्ष पर कम्पनी बाग में गौरैया के घरोंदे पेड़ों पर टांगे (लगाये) गये व लोगों को जागरूक किया गया। इस दौरान समाजसेवी एडवोकेट राजेश पाठक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कहा कि गौरैया संवाद जैसे कार्यक्रमों की वर्तमान में बहुत आवश्यकता है। गांवों में पर्याप्त खाना मिलने पर गौरैया के झुंड नजर आ जाते है लेकिन शहरों मे इनके आवासों की कमी है हम सब को गौरैया संरक्षण के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम के संयोजक पर्यावरणविद पुष्पेंद्र सिंह चौहान एड. ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार गौरैया जीवाश्मीय प्रमाण मिले हैं कि अस्तित्व में आने के बाद से ही गौरैया की मनुष्यों पर निर्भरता बनी रही। इंसानी बस्तियों के नजदीक इनका रहना हुआ है। पेड़-पौधों ने उन्हें रिहायश दी थी। घरों से निकले तरह-तरह के कच्चे व पके अनाज और कीट-पतंगे इनके व इनके चूजों का पेट भरने का जरिया थे। देश बीते 20 साल के विकास ने पूरे सिस्टम में उलटफेर कर दिया है, जो पक्षियों की संख्या में गिरावट के तौर पर देखा गया है। गौरैया अभियान के पुराने साथी सचिन जैन ने बताया कि इंसानों की दोस्त है यह नन्हीं चिडिय़ा गौरैया इंसानों की दोस्त भी है। घरों के आसपास रहने की वजह से यह उन नुकसानदेह कीट-पतंगों को अपने बच्चों के भोजन के तौर पर इस्तेमाल करती थी, जिनका इस वक्त प्रकोप इंसानों पर भारी पड़ता है। कीड़े खाने की आदत से इसे किसान मित्र पक्षी भी कहा जाता है। अनाज के दाने, जमीन में बिखरे दाने भी यह खाती है। मजेदार बात यह कि खेतों में डाले गए बीजों को चुगकर यह खेती को नुकसान भी नहीं पहुंचाती। यह घरों से बाहर फेंके गए कूड़े-करकट में भी अपना आहार ढूंढती है। इस दौरान अंकित जैन श्बन्टी्य एड., राजेश पाठक एड., सचिन जैन श्बॉस्य, स्वतंत्र व्यास, डा. विकास गुप्ता जीत, रवीन्द्र घोष एड., आशीष साहू एड., बलराम कुशवाहा, अमन सुरजिया एड., प्रसन्न कौशिक एड., ऋषि हीरानन्दानी, वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण बिहारी उपाध्याय, पत्रकार अमित लखेरा, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल, पत्रकार पुष्पा झा, आरती राय, संजय सेन, भावना पंथ, देव सोनी, भरत वैध, लोकेश रैकवार, मु.सद्दाम हुसैन, प्रेमदास, बृजलाल, कुसुम, लक्ष्मी, रोहित कुशवाहा, धु्रव सेन, ज्ञानेन्द्र प्रताप, दिनेश पाण्डे, श्रवण राठौर, यशपाल यादव, रानू बुन्देलखण्डी आदि उपस्थित रहे।