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ललितपुरः टीबी मरीजन को एचआईवी ग्रसित होवे को सबसे ज्यादा खतरा

जनपद में हैं 289 एचआईवी के एक्टिव मरीज
ललितपुर। टीबी (क्षय रोग) एक संक्रामक बीमारी है जो खांसने और छीकने से फैलती है। यह रोग कमजोर प्रतिरक्षण वाले लोगों में फैलता है। सही समय पर इसका इलाज नहीं होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है। टीबी का संक्रमण एचआईवी के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक होता है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा.जे.एस.बक्शी का कहना है कि टीबी का रोग कम प्रतिरक्षण वाले लोगों में ज्यादा फैलता है। इस श्रेणी में बुजुर्ग, कुपोषित बच्चे, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज होते हैं। इनके साथ ही टीबी रोग एचआईवी- ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएनसी ग्रसित लोगों के लिए हानिकारक होता है। एचआईवी रोग में मरीज के शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है। एचआईवी वह विषाणु है, जिससे एड्स हो सकता है। एचआईवी शरीर के रोग निरोधक प्रक्रिया पर प्रहार करता है। एचआईवी का सही इलाज नहीं करने पर शरीर आम संक्रमणों से बचाव नहीं कर पाता है और इस स्थिति को एड्स कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक एचआईवी के मरीज को एक स्वस्थ इंसान की तुलना में 18 गुना ज्यादा टीबी होने की संभावना होती है। एचआईवी और टीबी एक साथ होने पर बहुत ही घातक साबित होता है। दोनों मर्ज एक साथ होने पर मृत्यु दर अधिक होने की संभावना अधिक होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में साल 2019 में 2,08000 लोगों की मौत एचआईवी और टीबी एक साथ होने की वजह से हुई। वहीं जनपद में 2 रोगी ऐसे हैं जिन्हें टीबी और एचआईवी दोनों एक साथ हैं। वहीं 289 एक्टिव एचआईवी के मरीज हैं। डा.बक्शी ने बताया कि हर टीबी के मरीज की एचआईवी जाँच होती है और हर एचआईवी मरीज की भी टीबी की जांच होती है। एचआईवी के मरीज को अपना बहुत ख्याल रखने की जरूरत होती है, बेवजह भीड़ भाड वाली जगह में नहीं जाना चाहिए, किसी दूसरे मरीज के संपर्क में नहीं आयें, और नियमित सेहत की जांच करवाएं। डा.बक्शी बताते हैं कि किसी भी तरह का मर्ज होने पर इंसान की दृढ इच्छा शक्ति और अनुशासित जिंदगी जीने की जरूरत होती है। मर्ज होने पर परेशान या घबराने की जरूरत नहीं होती, टीबी और एचआईवी का इलाज संभव है, इसके लिए मरीज को बिना रुके दवाई का सेवन करना होता है। सरकारी अस्पताल में दोनों मर्ज का इलाज मुफ्त होता है और साथ ही इनका चेकअप भी बिना पैसे के किया जाता है। एचआईवी मरीजों का इलाज निकटतम एआरटी सेण्टर में उपलब्ध होता है। जनपद में 5 आईसीटीसी सेण्टर हैं जिनमें से 2 जनपद में और 3 तालबेहट, मडावरा, महरौनी में मौजूद हैं। एचआईवी की टेस्ट पॉजिटिव आने पर फिर एक कांफिर्मेट्री टेस्ट होता है, यह रिपोर्ट भी घनात्मक आने के बाद मरीज को झाँसी मेडिकल स्थित एआरटी सेण्टर पर लिंक किया जाता है और इलाज भी शुरू किया जाता है और सम्बंधित आईसीटीसी सेण्टर पर उसकी इलाज की किट भेजी जाती है।

✍️अमित लखेरा

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