आइये जानते है बुंदेलखंड का गौरवमयी इतिहास
बुंदेलखंड के इतिहास पर अगर हम नजर डाले तो अनेक कथाएं हमारे सामने आती है। पहले इस प्रदेश को जुझौतिखंड के नाम से जाना जाता था बुंदेलखंड के प्राचीन इतिहास के संबंध में सर्वाधिक महत्वपूर्ण धारणा यह है कि यह चेदि जनपद का हिस्सा था. कुछ विद्वान चेदि जनपद को ही प्राचीन बुंदेलखंड मानते हैं. बौद्धकालीन इतिहास के संबंध में बुंदेलखंड में प्राप्त उस समय के अवशेषों से स्पष्ट है कि बुंदेलखंड की स्थिति में इस दौरान कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ था. चेदि की चर्चा न होना और वत्स, अवंति के शासकों का महत्व दर्शाया जाना इस बात का प्रमाण है कि चेदि इनमें से किसी एक के अधीन रहा होगा.
पौराणिक युग का चेदि जनपद ही इस प्रकार प्राचीन बुंदेलखंड विधेलखण्ड का अपभ्रंश है। विध्येलखण्ड, विंध्यभूमि विंध्याचल पर्वत अंचलीय क्षेत्र को कहा जाता था, ‘विंध्य’ और ‘इला’ से बना ‘विंध्येला’ अर्थात विंध्याचल पर्वत और उसकी श्रेणियों वाली भूमि अर्थात विंध्याचल पर्वत के आसपास वाली समग्र भूमि का नाम ‘विंध्येला’ था जो कालान्तर में क्रमशः ‘विंध्येलखण्ड’ व ‘बुन्देलखण्ड’ कहलाया। अनेक शासकों और वंशों के शासन का इतिहास होने के बावजूद भी बुन्देलखण्ड की अपनी समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व सामाजिक पहचान को नकारा नहीं जा सकता।
बुन्देली साहित्य व संस्कृति को नष्ट करने के लिये आक्रमणकारियों ने अनेकों बार बुन्देलखण्ड पर आक्रमण किये, किन्तु वीर बुन्देलों ने अपने प्राणों की बलि देकर अपने धर्म, संस्कृति और रीति-रिवाजों की रक्षा की। समय-समय पर अनेकों शासकों ने इस भू-भाग पर राज्य स्थापित कर अपनी छाप छोड़ी है, कभी गुप्त साम्राज्य तो कभी वाकाटक, नागवंशी, प्रतिहार, चन्देल, खंगार, बुन्देला आदि। इस प्रकार ऐतिहासिक घटनाओं के उत्थान पतन से ओतप्रोत बुन्देलखण्ड अपनी आलोकित छटा लिये आज भी कायम है।