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बरुआसागर: सफाई कर्मियों की हड़ताल समाप्त, न तुम हारे न हम जीते की तर्ज पर हुआ निपटान

बरुआसागर। विगत चार दिनों से जारी सफाई कर्मियों की हड़ताल आखिरकार सोमवार को खत्म हो गई। पालिका प्रशासन और सफाई कर्मचारी संगठन के स्थानीय व जिला स्तर के नेताओं के मध्य चली कई दौर की वार्ता और मान मनौव्वल के बाद अंततः सोमवार की अपराह्न दोनों पक्षों में सहमति बन गई और हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया गया। पालिका प्रशासन की ओर से सद्भावना के तौर पर हड़ताली कर्मियों को मिठाई खिलाकर हड़ताल समाप्त कराई गई।
ज्ञात हो कि वेतन, बोनस, पेन्शन सहित तमाम मांगों को लेकर विगत शुक्रवार को नगर पालिका परिषद के सफाई कार्मिक हड़ताल पर चले गए थे तथा पालिका प्रशासन व उप जिलाधिकारी के काफी प्रयासों के बावजूद भी वे अपनी मांगे न माने जाने तक हड़ताल से वापस आने को तैयार नहीं थे। सोमवार की अपराह्न पुनः दोनों पक्षों की ओर से पालिकाध्यक्ष श्रीमती हरदेवी कुशवाहा एवं अधिशाषी अधिकारी कल्पना शर्मा व सफाई कर्मचारी यूनियन के जिलाध्यक्ष अशोक प्याल, कुन्दनलाल, नुंनालाल करोसिया, नगर अध्यक्ष रामस्वरुप करोसिया आदि की मौजूदगी में वार्ता हुई और पालिका प्रशासन ने कर्मियों के सम्मुख नया प्रस्ताव रखा जिसमें आउटसोर्सिंग सफाई कर्मियों का दो माह का वेतन व अन्य सभी सफाई कर्मियों का एक माह का वेतन दिए जाने सहित अन्य मांगों पर चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन का प्रस्ताव था जिसपर हड़ताली कर्मी सहमत हो गए और हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया गया। हड़ताल खत्म होने से पालिका प्रशासन के साथ साथ नगरवासियों ने भी चैन की साँस ली है, विगत चार दिनों में नगर की सफाई व्यवस्था बुरी तरह ध्वस्त हो गई थी और जगह जगह कूड़े व गंदगी के ढेरों के साथ नालियां भी बजबजा उठीं थीं। त्योहार सर पर होने से चिंतित जनता हड़ताल समाप्ति की खबर पाकर राहत की सांस ले रही है।
न तुम जीते, न हम हारे
आखिरकार सफाई कर्मियों की हड़ताल समाप्त हुई और पालिका प्रशासन के साथ साथ नगर की जनता ने भी चैन की साँस ली। लेकिन बड़ा सवाल फ़िज़ाओं में यह है कि इस हड़ताल से किसने क्या खोया क्या पाया? ध्यान से समझा जाये तो हड़ताल के पहले दिन ही पालिका प्रशासन ने जो प्रस्ताव हड़ताली कार्मिकों व उनके नेताओं के सम्मुख रखा था कमोवेश उन्हीं शर्तों के साथ आज दोनों पक्षों में समझौता हुआ है। फिर चार दिनों तक हड़ताल को जबरन क्यों खींचा गया? क्या योजनाबद्ध तरीके से निहित स्वार्थों की खातिर इस हड़ताल को पर्दे के पीछे से निर्देशित किया जा रहा था ? नगर की जनता इसकी पड़ताल में है, आखिरकार खामियाजा तो उसी ने भुगता है। बहरहाल अन्त भला सो सब भला, आखिरकार दोनों पक्षों ने समझदारी दिखाई और नगर की जनता को हो रही परेशानी के बारे में सोचते हुए दो दो कदम आगे बढ़ते हुए न तुम जीते न हम हारे की तर्ज पर मामले का निपटारा कर लिया।

✍️राजीव बिरथरे
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