कम बारिस से परेशान अन्नदाताओं ने रूठे इंद्रदेव को मनावे खेत मे करे हरि नाम कीर्तन
हटा: बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों में इस साल कम बारिस अन्नदाताओं की चिंता को विषय बनी है, अल्पवर्षा से हटा तहसील के कई गाँवन में बोई गई खरीफ सीजन की फसलें सूखबे की कगार पर हैं। सूखे के कारण उड़द और सोयाबीन की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित भई है। आदिवासी अंचलों में मक्का की फसल भी कम बारिस की भेंट चढ़ गई है। परेशान किसान और ग्रामीणों ने रूठे इन्द्रदेब को मनाबे के लाने कई तरह के जतन शुरू कर दये हैं।
आदिवासी अंचल के ग्राम अमझिर में भी कछु एई तरह के अनोखे टोटके से इन्द्रदेब को मनाबे में जुटे किसान खेतो के बीच मे बैठकर भजन कीर्तन करत नजर आए। आदिवासी लोग और लगाईं फ़सलन के बीच में बैठके सीताराम संकीर्तन गात नजर आए। लोगन की मान्यता है की ऐसो करवे से उनके ईस्ट प्रशन्न हुईए और अच्छी बारिस करें। किसानों को कहबो है कि सावन को पूरो महीना बीत गओ है और बरिस नही भई, ऐसे में अब भगवान को प्रशन्न करके ही बारिस कराई जा सकत है। बारिस के लाने भजन गायन कर रहे किसानों की माने तो बमुश्किल किसी तरह उनने फसल बोबनी को इंतजाम करे। लेकिन ई साल अल्पवर्षा से फसलें बर्बादी कि कगार पे हैं। कोरोना काल में प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष भी नही जा सकत, ऐसे में भगवान से गुहार लगाबो ही एकई रास्ता है। लोगन को आशा है कि अगले दो तीन दिन में अच्छी बारिस होजे। अच्छी वारिस की कामना के लाने कई गांव में लोग देव स्थलो पे रामायण पाठ और पूजन कीर्तन में जुटे भए हैं, वही कई लाचार किसानों ने बारिस की आस छोड़ के अपने खेतों को मवेशियों को चराना शुरू कर दिया है।
रिपोर्ट✍️रविकांत बिदोल्या हटा(जिला दमोह)