सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है। ज़िम्मेवार अधिकारी निरंकुश हो चुके हैं, उनके अंदर से राजदण्ड का भय समाप्त हो चुका है। ऐसे में उनको मनमानी करने से नहीं रोका जा सकता है। जब तक जनप्रतिनिधि इसका संज्ञान लेकर ऐसे भ्रष्ट व निरंकुश अधिकारियों के ऊपर प्रभावी दंडात्मक कार्यवाही नहीं कराते हैं तब तक समस्या का समाधान संभव नहीं है। जनता की अति आवश्यक मूलभूत सुविधाओं से संबंधित विभागों का जब यह हाल है तो समझा जा सकता है कि मनमानी, भ्रष्टाचार और कदाचार किस सीमा तक बढ़ चुका है। जब हाथी को महावत के अंकुश का भय समाप्त हो जाता है तो वह बावला हो जाता है यही हाल आज सरकारी विभागों का हो रहा है। राजदण्ड का भय खत्म हो जाना इस बात का स्पष्ट द्योतक होता है कि राजा की पकड़ अपने तंत्र पर कमज़ोर हो रही है और जनता में इसका नकारात्मक संदेश अवश्यमेव जाता है।