नई सरकार में गोपाल भार्गव को इन दो शब्दों पर आपत्ति क्यों है ?
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव की एक फेसबुक पोस्ट चर्चा में है। सरकार बनने के बाद मालदार विभाग और सिंधिया कोटा शब्द पर उन्होंने आपत्ति जाहिर की है। आप पढ़िए क्या लिखा गोपाल भार्गव ने
नव विस्तारित मंत्रिमंडल के सदस्यों को विभागों के वितरण पश्चात दो दिन से हर अखबार और चैनल पर देख रहा हूँ कि भाजपा कोटे से इतने मंत्री और सिंधिया कोटे से इतने तथा इतनों को “मालदार विभाग”। यह ‘मालदार’ शब्द भी पहली बार इस नए दौर की राजनीति में प्रविष्ट हुआ है । मैं सोचता हूँ कि राजनीति में यह शब्दावली बंद होना चाहिए, क्योंकि मैंने अपने 40 वर्षों के राजनैतिक जीवन में माननीय पटवा जी, उमा जी, गौर जी, शिवराज जी के पूरे मुख्यमंत्रित्व काल मे इस प्रकार की परिस्थितियाँ और शब्दों का प्रयोग कभी नहीं देखा है।
सभी संबंधित लोग इस पर तनिक गंभीरता से विचार करें तो पार्टी हित में होगा क्योंकि अब तो सभी लोग भाजपा परिवार के सदस्य और अभिन्न अंग हैं, फिर यह अलग अलग धाराएं क्यों ?
मेरा यह भी मानना है कि इससे पार्टी के नीचे तक के कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। इसलिए समय रहते हुए हम सचेत हों जाएं तो सभी के लिए श्रेयस्कर होगा।
जब हम जनसेवा और प्रदेश के विकास के लिए ही राजनीति और सार्वजनिक जीवन मे आये हैं तब ये मालदार और बिना मालदार विभाग जैसे शब्दों का प्रयोग उचित प्रतीत नहीं होता। मुझे जब जब भी मुख्यमंत्री जी और पार्टी द्वारा जिन जिन विभागों की जिम्मेदारी दी गई मैंने उन विभागों को पार्टी तथा मुख्यमंत्री जी की मंशानुसार संचालित किया है। स्व. श्री बलराज मधोक जी के समय से इतिहास गवाह है कि भारतीय जनता पार्टी कभी भी व्यक्ति आधारित पार्टी नहीं रही है। भाजपा में संगठन ही सर्वोपरि है। इसलिए मंत्रिमंडल में सम्मिलित मंत्रीगणों को खेमें में बांटने और विभागों के वितरण में मालदार और गैर मालदार विभागों की बात करना सर्वथा अनुचित ही है। यह विचार मेरे दीर्घकालिक राजनैतिक अनुभव से उपजे मेरे नितांत निजी विचार हैं।
(गोपाल भार्गव की फेसबुक वॉल से )