चित्रकूट : राम कथा यात्रा के सातवें दिन धर्म नगरी चित्रकूट में मोरारी बापू की कथा
चित्रकूट। भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में संत मोरारी बापू ने कहा कि यात्रा चाहे संत की हो, चाहे भगवंत की या हनुमंत की हो मानस में पांच विघ्न निश्चित है। कहा कि भरत चरित्र से लेकर भगवान श्रीराम का चरित्र जीवन में सबको अपनाना चाहिए। संतों के साथ इस पवित्र नगरी के धार्मिक स्थलों का मानसिक रूप से स्मरण कर वह पुण्य पाते हैं।शुक्रवार को दीनदयाल शोध संस्थान के सुरेंद्रपाल ग्रामोदय विद्यालय परिसर में रामकथा के दौरान अमेरिका में कोविड के दौरान मानस सीता पर आधारित कथा व स्विट्जरलैंड में सुनाई गई मानस स्वर्ग राम कथा की पुस्तक का विमोचन संत मोरारी बापू ने किया। इसके बाद कथा की शुरूआत रामनाम धुन और संगीतमय चौपाइयों के साथ की। उन्होंने मानसिक रूप से कामदनाथ भगवान की परिक्रमा करते हुए यहां उपस्थित प्रकट-अप्रकट चेतना, सभी संत समाज को व्यासपीठ से प्रणाम किया। बापू की कथा सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। कहा कि बेचा जाए वह प्रसाद नहीं, जो बांटा जाए वही प्रसाद होता है। रामनाम कीर्तन के बीच में ही उन्होंने अपने शायराना अंदाज में भक्ति भाव में कहा- जान में जान आ गई यारों वह किसी और से खफा निकला, जितनी जेबें मिली मेरे घर में सबके अंदर तेरा ही पता निकला। कथा में उन्होंने कहा कि वनवास काल व्यतीत करने के लिए प्रभु श्रीराम जब के वट से नदी किनारे मिले तो उनके आत्मीयता का पता चला। इसके बाद चित्रकूट के लिए दोहे में बताया कि बाल्मीक प्रभु मिलन बखाना। चित्रकूट जिमि बसे भगवाना। बाबा संतोष उर्फ सत्तू बाबा और नितिन अमेटा ने बताया कि संत मोरारी बापू की यह राम कथा का शुभारंभ 27 नवंबर को कारसेवक पुरम अयोध्या धाम से हुई थी। अयोध्या धाम के विस्तार में परिक्रमा करते हुए प्रतिदिन अलग-अलग स्थानों पर कथा सुनाई जा रही है। सातवें दिन दीनदयाल शोध संस्थान के परिसर में आयोजित की गई। कथा का समापन पांच दिसंबर को नंदीग्राम अयोध्या में किया जाएगा।