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भारत का एक ऐसा मुग़ल शासक जो अंग्रेजो के लिए बन गया था काल | टिप्पू सुल्तान के बारे में अनोखे तथ्य

  1. 10 नवंबर 1750 में टीपू सुलतान का जन्म देवनहल्ली शहर यानी बेंगलुरु, कर्नाटक में हुआ था. इनके पिता हैदर अली दक्षिण भारत में मैसूर साम्राज्य के सैन्य अफसर थे जो कि सन 1761 में मैसूर के वास्तविक शासक के रूप में सत्ता में आये थे. हैदर अली पढ़े लिखे नहीं थे परन्तु तब भी उन्होंने अपने बेटे टीपू सुलतान को शिक्षा दिलवाई.
  2. क्या आप जानते है कि 15 साल की उम्र में टीपू सुलतान ने सन 1766 में हुई ब्रिटिश के खिलाफ मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता का साथ दिया था. हैदर अली सम्पूर्ण दक्षिण भारत में शक्तिशाली शासक बने और टीपू सुलतान ने अपने पिता के कई सफल सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई…आपको बता दें कि टीपू सुलतान के पिता हैदर अली ने टीपू सुलतान का नाम फतेह अली खान साहब रखा था लेकिन एक स्थानीय संत जिनका नाम टीपू मस्तान औलिया था से प्रभावित होकर उन्हें अकसर टीपू बुलाया जाने लगा. ऐसे टीपू सुलतान नाम पड़ा.
  3. टीपू सुलतान को आमतौर पर मैसूर के टाइगर के रूप में जाना जाता है और इस जानवर को उन्होंने अपने शासन के प्रतीक के रूप में अपनाया था. ऐसा कहा जाता है कि एक बार टीपू सुलतान एक फ्रांसीसी मित्र के साथ जंगल में शिकार कर रहे थे. तब वहां बाघ उनके सामने आ गया था. उनकी बंदूक काम नहीं कर पाई और बाघ उनके ऊपर कूद गया और बंदूक जमीन पर गिर गयी. वह बिना डरे, कोशिश करके बंदूक तक पहुंचे, उसे उठाया और बाघ को मार गिराया. तबसे उन्हें “मैसूर का टाइगर” नाम से बुलाया जाने लगा.
  4. टीपू सुलतान नीतियों में काफी तेज़ थे. उन्होंने अपनी समझदारी के कारण 15 वर्ष की उम्र में ही मालाबार साम्राज्य को हड़पकर नियंत्रण कर लिया था. तब उनके पास सिर्फ 2000 सैनिक थे और मालाबार की सेना काफी अधिक थी, लेकिन तब भी उन्होंने फ़ौज का सामना किया, डरे नहीं और आखिर जीत उनकी हुई.
  5. पिता की मृत्यु के बाद टीपू सुलतान मैसूर सम्राज्य के शासक बन गए थे और इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों की अग्रिमों की जांच करने के लिए मराठों और मुघलों के साथ गठबंधन कर, सैन्य रणनीतियों पर काम करना शुरू किया था. सन 1784 में द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध को समाप्त करने के लिए अंग्रेजों के साथ मंगलोर की संधि की.
    6 टीपू सुलतान शास्स्क के रूप में वह एक काफी कुशल व्यक्ति साबित हुए, उन्होंने अपने पिता की छोड़ी हुई परियोजनाओं जैसे सड़के, पुल, प्रजा के लिए मकान और बंदरगाह इत्यादि को पूरा करवाया, युद्ध में राकेट, लोहे से बनी हुई मैसरियन राकेट और मिसाइल का निर्माण किया. उन्होंने ऐसा अद्भुत सांय बल बनाया जो कि जरुरत पड़ने पर अंग्रेजों को नुक्सान पहुंचा सके.
    7 उन्होंने अपने क्षेत्र का विस्तार किया, कई योजनाएं बनाई. त्रवंकोर पर उनकी नज़र थी जिसके तहत उन्होंने वहां के महाराजा के खिलाफ हमले का शुभारम्भ किया. महाराजा ने ईस्ट इंडिया कम्पनी से मदद ली और सन 1790 में टीपू सुलतान पर हमला किया. ये लड़ाई तकरीबन दो वर्षों तक चली और सन 1792 में श्रीरंगपट्टनम की संधि हुई हुई जिसके कारण मालाबार और मंगलौर को मिलाकर टीपू सुलतान को कई प्रदेशों को खोना पड़ा.
    8 क्या आप जानते हैं कि टीपू सुलतान के शासन काल में तीन बड़े युद्ध हुए हैं और तीसरे युद्ध में वे वीरगति को प्राप्त हुए.
  6. टीपू सुलतान की पहली लड़ाई द्वितीय आंग्ल-मैसूर थी जिसमें उन्होंने मंगलौर की संधि के साथ युद्ध को समाप्त किया और सफलता हासिल की.
  7. तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध टीपू सुलतान की दूसरी बड़ी लड़ाई थी जो कि ब्रिटिश की सेना के खिलाफ थी. यह युद्ध श्रीरंगपट्टनम की संधि के साथ समाप्त हुआ और इसमें टीपू सुलतान की हार हुई थी. परिणामस्वरूप उन्हें अपने प्रदेशों का आधा हिस्सा अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं और साथ ही हैदराबाद के निजाम एवं मराठा साम्राज्य के प्रतिनिधि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए छोड़ना पड़ा.
  8. चौथा आंग्ल-मैसूर युद्ध सन् 1799 में हुआ था. यह भी ब्रिटिश सेना के खिलाफ था. इसमें भी टीपू सुलतान की हार हुई और उन्होंने मैसूर को खो दिया और साथ ही उनकी म्रत्यु भी हो गई थी
  9. टीपू सुलतान सुन्नी इस्लाम धर्म से सम्बन्ध रखते है. उनकी तलवार का वजन लगभग 7 किलो 400 ग्राम है और तलवार पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि आज के समय में उनकी तलवार की कीमत तकरीबन 21 करों रुपए है. क्या आप जानते हैं कि फ्रांस में बनाई गई सबसे पहली मिसाइल के अविष्कार में यदि किसी का सबसे अधिक दिमाग था तो वह स्वयं टीपू सुलतान और हैदर अली थे. उन्होंने जिस रॉकेट का अविष्कार किया था वह आज भी लंदन के एक म्यूजियम में रखा हुआ है. हम आपको बता दें कि अंग्रेज इसे अपने साथ ले गए थे.
  10. टीपू सुलतान ने बहुत ही कम उम्र में शूटिंग, तलवारबाजी और घुड़सवारी सीख ली थी और यही कारण था कि उन्होंने अपने पिता का साथ युद्ध में 15 साल की उम्र में दिया था. वे बहुत मेहनती थे. उन्होंने मैसूर में नौसेना के एक भवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके अंतर्गत 72 तोपों के 20 रणपोत और 62 तोपों के 20 पोत आते हैं.
  11. टिपू सुल्तान को बागवानी का काफी शौक था. यह इस बात से पता चलता है कि विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के साथ उनके अधिकांश पत्राचार हमेशा बीजों और पौधों की नई किस्मों के लिए अनुरोध को लेकर होते थे. उन्हें बैंगलोर में 40 एकड़ लालबाग बॉटनिकल गार्डन की स्थापना के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने लंबे समय तक ब्रिटिश हमलों से डेक्कन इंडिया को बचाया और उन्हें उनके द्वारा टिपू साहिब के रूप में संबोधित किया गया.
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