आस्था

बुंदेलखंड के घने जंगलों के बीच विराजमान है इस देवी मां का प्राचीन मंदिर.

यूँ तो वीर भूमि बुंदेलखण्ड की धरा में एक से बढ़कर एक पावन धाम हैं. लेकिन चरखारी में स्थित मां मदारन देवी का मंदिर समूचे बुंदेलखण्ड के सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्व शक्तिपीठों में से एक है.

माँ मदारन देवी मंदिर का मुख्य द्वार.

मां मदारन देवी वैष्णव रूप में ऊंचे विंध्य पर्वतों पर मौजूद घने जंगलों के मध्य स्थित हैं. फिर भी प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं. मां मदारन देवी चंदेलों की अराध्य देवी रही हैं. लोगों की मानें तो मंदिर में ब्रम्हा मुहुर्त में सबसे पहले माता की पूजा वीर आल्हा करते हैं. जिसके प्रमाण स्वरूप हर सुबह मंदिर में पुष्प आदि चढे़ मिलते हैं. जहां मां मदारन देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं. माता मदारन देवी अपने सिंहासन के ऊपर छत को वर्जित मानतीं हैं. जिस वजह से आज तक मंदिर में छत नहीं डाली गई.

मां मदारन देवी का बिना छत का प्राचीन मंदिर.

बुंदेलखंड का कश्मीर कहे जाने वाले चरखारी में माँ मदारन देवी का प्राचीन मंदिर मौजूद है. बुंदेलखंड व इसके सुदूर के गांवों में माँ मदारन देवी को लेकर विशेष आस्था है. बच्चों के मुंडन व वैवाहिक पूजा पाठों से पूरी साल गुलजार रहता है माँ का दरबार. मंदिर के पुजारी कामता नाथ तिवारी बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां घनघोर जंगल हुआ करता था. जहा मंदारन नामक आदिवासी निवास किया करते थे. जिनकी माता पर अटूट आस्था थी. इसलिए इसी जाति के नाम पर मंदिर का नाम मदारन देवी पड़ गया.

रिपोर्ट :- आश अनुरुद्ध

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