मोहन्द्रा-अंचल के प्रसिद्द धार्मिक स्थल दानदाई मैय्या के स्थान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक रामदुलारे शास्त्री जी महाराज ने आज कथा के पांचवें दिवस श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
कथा के दौरान श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। कथा के मुख्य यजमान रमा शंकर शुक्ला ने सपत्नि कृष्ण रुक्मणि की आरती उतारी ! प्रसंग में रामदुलारे शास्त्री जी महाराज ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदि नरेश के राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। आज भागवत आरती में प्रमुख रूप से एनएमडीसी पन्ना के जीएम, तहसीलदार सिमरिया रविशंकर शुक्ल, जनपद पंचायत पवई के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रसन्न चक्रवर्ती, अनिल दीक्षित, बेटी बचाओ अभियान पन्ना की ब्रांड एम्बेस्डर व् धाविका गौरी अरजरिया, पुरुषोत्तम पांडे, राजेंद्र भरद्वाज, पुष्पेंद्र सिंह, कन्हैया कुदरहा, सुशील त्रिवेदी, बाले कटेहा आदि मौजूद रहे।