भितरवार। शासकीय महाविद्यालय में योगाभ्यास का आयोजन किया गया जिसमें योगाचार्य आयुष पालीवाल द्वारा अष्टांगयोग का अभ्यास कर योग के महत्व को समझाया गया गुरुवार को महाविद्यालय में आयोजित योगाभ्यास में योगाचार्य आयुष पालीवाल ने कहा कि योग का अर्थ है जुड़ना। यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्र में स्पष्ट किया है कि चित्त को विभिन्न वृत्तियों में परिणत होने से रोकना योग है।
मनुष्य के शरीर में सभी ओर बिखरी चित्तवृत्तियों को सब ओर से खींचकर एक ओर ले जाना यानी केंद्र की ओर जाना ही योग कहलाता है। हमें तो आत्मा पर छाए चित्त के विक्षेप को समाप्त कर उसे शुद्ध करना होता है। योग द्वारा हम अपने चित्त को शुद्ध करके आत्मा का साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं। महर्षि पंतजलि ने योग की व्यापक विवेचना की है। इसमें कई सोपान हैं-यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
अष्टांग योग की इस पद्धति के माध्यम से साधना करने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति सद्गुरु के सान्निध्य में इन सोपानों पर यम-नियम को साधते हुए ध्यान और समाधि की उच्चतम अवस्था पर पहुंच कर चिन्मय आत्मा का साक्षात्कार कर सकता है। फिर अपने आत्मा में परब्रह्म परमात्मा के दर्शन प्राप्त कर तद्स्वरूप होता हुआ आनंद को प्राप्त कर सकता है। नियमित योगाभ्यास करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और मन को शांति मिलती है इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ दीपक शर्मा, प्रोफेसर सुहैल अहमद खान,प्रीति, वंदना सिंह,पंकज वर्मा, जितेंद्र सिंह,हरपाल सिंह, रविन्द्र सिंह,हरि सिंह आदि