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भारत की बेटी का अनाथालय से ऑस्ट्रेलिया की कप्तान तक का सफर

13 अगस्त, 1979 को पुणे शहर के एक अनजान कोने में एक लड़की का जन्म हुआ लेकिन उसके माता पिता उसे अनाथाश्रम में छोड़ गए, अनाथालय के प्रबंधक ने इस प्यारी सी बच्ची का नाम ‘लैला’ रखा. जिसे अमेरिकी कपल ने आगे चलकर गोद ले लिया इसके बाद लैला का नाम लीजा हो गया, और उनके माता पिता उन्हें अमेरिका ले गए, लेकिन कुछ साल के बाद वे सिडनी में रहने लगे लीजा के पिता ने बेटी को क्रिकेट खेलना सिखाया, घर के पार्क से शुरू होकर गली के लड़के के साथ खेलने तक का यह सफर कई रिकॉर्ड बना गया ,इस सफर में लीजा ने ऑस्ट्रलिया के लिए आठ टेस्ट मैच, 416 रन, देकर 23 विकेट चटकाएं वहीँ 125 वनडे में 2728 रन के साथ 146 विकेट हासिल किये और 54 टी-20, में 769 रन बनाकर 60 विकेट चटकाएं

वनडे में 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली लीज़ा पहली महिला क्रिकेटर बनी जब आईसीसी की रैंकिंग प्रणाली शुरू हुई तो वह दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर थी। 2013 में उनकी टीम ने क्रिकेट विश्व कप जीता, उसके अगले दिन इस खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इसके बाद ICC ने लीजा स्टालगर को अपने हॉल ऑफ फेम में शामिल किया

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