मालथौन: मालथौन क्षेत्र में तेजी से फैल रहा लम्पी स्किन वायरस
लक्षण कोरोना की तरह, घाव के बाद हो जाती है मवेशी की मौत
सागर जिले के मालथौन में मवेशियों में होने वाली संक्रामक बीमारी तेजी से फैल रही है। वायरसजनित इस बीमारी का नाम *लम्पी स्किन डिजीज* दिया गया है। करीब एक साल पहले ओडिशा में मवेशियों में यह बीमारी फैली थी। विज्ञानियों ने इस वायरस को *क्रैंपी पाक्स* परिवार का नया वायरस बताया है। मालथौन तहसील के बरोदिया कलां गांव में 80 से 90 प्रतिशत पशुओं में यह रोग फैल चुका हैं। इस रोग में मवेशी की त्वचा पर गांठें बनती हैं और जोड़ों में सूजन आ जाती है। त्वचा पर बनी गांठ घाव का रूप ले लेती है। संक्रमित मवेशियों का तापमान बढ़ता है और उनकी मौत हो जाती है। पशु विज्ञानियों का दावा है कि यह मवेशियों से मवेशियों में फैलने वाला वायरस है। इससे मनुष्यों को खतरा नहीं है। हालांकि, जिन मवेशियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, उनकी जान बच जाती है।
ये हैं लम्पी स्किन वायरस के लक्षण
पशु विज्ञानियों के अनुसार, संक्रमित मवेशियों में तेज बुखार, शरीर में गांठे (खासकर सिर, गर्दन, अंडकोष और योनीमुख) हो जाती हैं। मक्खियों से संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। पशुओं में दूध की कमी हो जाती है, भूख नहीं लगती, आंख व नाक से पानी बहने लगता है और सांस लेने में कठिनाई होती है। करीब दस से 15 दिन बाद पशु की मौत हो जाती है।
मवेशियों के बीच शारीरिक दूरी बनाने से संक्रमण का खतरा कम
मालथौन पशु चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर अजय दंडोतिया ने बताया कि इस वायरस की पहली बार पहचान अगस्त 2019 में ओडिशा में की थी। यह बीमारी विषाणु जनक वायरस से फैल रही है। यह कैप्री पोक्स की फैमिली का वायरस है। जो संक्रमित मवेशी से दूसरे मवेशी में फैलता है, इसलिए पशुपालक मवेशियों में शारीरिक दूरी बनाएं और उन्हें समूह में चराने न ले जाएं।
इस वायरस की अभी तक कोई दवा नहीं है, इसलिए लक्षणों के आधार पर दवा दी जा रही है। संक्रमित मवेशियों को एंटीबायोटिक, दर्द निवारक व विटामिन की दवा देकर इलाज कर रहे हैं।