राजधानी सहित 20 जिलों में राशन का गेहूं मिलना बंद, यूक्रेन युद्ध के दौरान मप्र ने 1 करोड़ 55 लाख क्विंटल गेहूं किया था निर्यात
भोपाल: यूक्रेन संकट के दौरान विदेशों में जब गेहूं की मांग बढ़ी तो मध्यप्रदेश से बेहिसाब गेहूं निर्यात किया गया, इसका परिणम यह हुआ कि गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य से 35% कम हुई, जिसका सीधा असर अब गरीब की थाली पर दिखने लगा है। केंद्र सरकार ने गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत दिए जाने वाले राशन में बड़ा फेरबदल कर दिया है।
मप्र के 14 जिलों में पीडीएस दुकानों पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) में गेहूं के स्थान पर 5 किलो चावल दिया जा रहा है। गेहूं का वितरण पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इसके अलावा 6 जिलों में पीएमजीकेएवाई और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत चावल बांटा जा रहा है। शेष बचे 32 जिलों में गेहूं और चावल अलग-अलग रेशियो में बांटा जा रहा है। ज्ञात हो कि पीएमजीकेएवाई में हर गरीब को 4 किलो गेहूं, एक किलो चावल देते थे।
मप्र के 14 जिलों में पीडीएस दुकानों पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) में गेहूं के स्थान पर 5 किलो चावल दिया जा रहा है। गेहूं पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इसके अलावा 6 जिलों में पीएमजीकेएवाई और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत चावल बांटा जा रहा है। शेष बचे 32 जिलों में गेहूं और चावल अलग-अलग रेशियो में बांटा जा रहा है। ज्ञात हो कि पीएमजीकेएवाई में हर गरीब को 4 किलो गेहूं, एक किलो चावल देते थे।
14 जिले : भोपाल, बैतूल, छिंदवाड़ा, जबलपुर, कटनी, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, पन्ना, रायसेन, रीवा, सतना, सिवनी, सीधी, सिंगरौली में पीएमजीकेएवाई के तहत सिर्फ चावल दिया जा रहा हैं। 6 जिले : अनूपपुर, बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, शहडोल, उमरिया में एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई के तहत सिर्फ चावल ही बंट रहा है।
आखिरकार यह समस्या क्यों उत्पन्न हुई,
जानिए इसकी दो बड़ी वजह –
1 . बड़ी संख्या में किसानों ने अच्छा रेट मिलने के चलते अपना गेहूं सीधे मंडी में बेचा।
2. मंडी से गेहूं विदेशों में भेज दिया गया। इस बार गेहूं की सरकारी खरीद कम हुई। किसानों ने यूक्रेन संकट का लाभ उठाते हुए सीधे व्यापारी को गेहूं बेचा।
इस बार 46 लाख क्विंटल गेहूं की ही सरकारी खरीद, इसलिए गोदाम खाली पड़े
इस बार केंद्र सरकार ने प्रदेश को 1 करोड़ 25 लाख क्विंटल गेहूं खरीदी का लक्ष्य दिया था। लेकिन खरीद सिर्फ 46 लाख 3 हजार क्विंटल गेहूं की हो सकी। इसी वजह से ज्यादातर सरकारी वेयरहाउस खाली पड़े हैं। पिछले साल इनमें 1 करोड़ 28 लाख 16 हजार क्विंटल गेहूं था। अधिकारी खुद मान रहे हैं कि पहली बार प्रदेश में गेहूं की शॉर्टेज है। इस बार 1 करोड़ 55 लाख क्विंटल गेहूं निर्यात हुआ, जबकि साल 2021 में ये आंकड़ा सिर्फ 20 लाख क्विंटल था।
कई जिलों में गेहूं का रेशियो घटा, चावल का बढ़ा
केंद्र सरकार रेशियो बदला है, इसलिए भोपाल में पीएमजीकेएवाई के तहत सिर्फ 5 किलो चावल दिया जा रहा है। बाकी जिलों में भी गेहूं का रेशियो घटा है। चावल का बढ़ा है। पिछले साल की तुलना में खरीदी कम हुई है। -दीपक सक्सेना, संचालक, खाद्य-नागरिक आपूर्ति
भोपाल में पीडीएस दुकानों पर 40 हजार क्विंटल गेहूं भरा, लेकिन बांटने की अनुमति नहीं
खाद्य विभाग के अफसरों ने बताया कि केंद्र सरकार ने मई में 3 लाख 79 हजार 323 मीट्रिक टन का कोटा मप्र में पीडीएस के लिए जारी कर दिया था, लेकिन शॉर्टेज के बाद इसे घटाकर 1 लाख 66 हजार 112 मीट्रिक टन कर दिया। जबकि चावल 1 लाख 26 हजार 441 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 3 लाख 39 हजार 652 मीट्रिक टन कर दिया है।
इस रेशियो में बदलाव के बाद भोपाल की 400 से ज्यादा पीडीएस दुकानों पर 40 हजार क्विंटल गेहूं भरा हुआ है। इसकी कीमत करीब 8 करोड़ 60 लाख रुपए है, लेकिन इसे बांटने की परमिशन अभी तक नहीं मिली है। इसकी वजह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना है।