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रहली(सागर): रूठे मेघों को मनाने ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू हुए पारंपरिक टोटके

बारिश के लिए हो रहे जतन, अब किसान बारिश के लिए भगवान की शरण में पहुंच रहे है

रहली~खरीफ फसल की बोनी के बाद अवर्षा के कारण फसलों के सूखने की व्याकुलता से भरे किसान रूठे मेघों को मनाने के लिए इंद्रदेव की शरण में है ग्रामों में धार्मिक में अनुष्ठान के साथ-साथ पारंपरिक टोटके भी अपनाए जा रहे हैं खरीफ फसलों की बुवाई के बाद अच्छी वर्षा की उम्मीद कर रहे किसानों परेशानी के चिंता की गहरी लकीरे हैं वजह है मौसम की बेरुखी इस वर्ष अच्छी वर्षा के संकेत से मौसम विभाग ने आश्वस्त किया किया था परंतु इस बार फिर मौसम विभाग के अनुमान गलत साबित हुआ,अब ग्रामीण किसान देवालयम पारंपरिक टोटकों की शरण में है ग्रामीण क्षेत्रों में गांव में किसान इंद्रदेव को मनाने के लिए कुछ स्थानों पर ग्रामीण रामायण तथा देवता का पूजन किया जा रहा है तो कही पर गाय के गोबर को भगवान की प्रतिमा को ढक दिया जा रहा है तो कही बच्चों को द्वारा बच्चे मेंढक को लटका कर गांव में घुमा रहे हैं मिन्दो मिन्दो पानी बरसाइयो,धान कोदो सुखत है। रहली के वार्ड नंबर दस में विराजमान पटेल बब्बा की प्रतिमा को दो दिन पहले गाय के गोबर पटेल बब्बा की प्रतिमा को ढक दिया गया और आज उन्ही के परिसर में कन्या भोज और भण्डरा किया गया था किसान रमेश पटेल ने बताया कि जब वारिस नही होती है तो हमारी यह परंपरा है कि पटेल बब्बा को गोबर में ढक दो और भण्डरा करो तो एक दो दिन में वारिस होने लगती है साथ ही मेढ़को को उल्टा लटका दिया जाता है जिसके बाद बारिस होने लगती है और इसके बाद भी बारिस नही होती तो अन्न देवी देवता का पूजन करगें क्योकि विज्ञानं तो फेंल हो चूका है क्योकि उसी के कहने पर अधिक पानी बाली फसल की बोनी की थी लेकिन पानी गिर ही नही रहा तो अब भगवान ही एकमात्र है जो हम किसानों की विनती सुन सकते है।

✍️प्रवीण सोनी

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