चित्रकूट: मेरा कोई न सहारा बिन तेरे नंदलाल सांवरिया, खोही के “जगत निवास” में चल रही श्रीमद्भागवत कथा
चित्रकूट : सत चिंतन करने से मन स्वस्थ रहता है, श्रीमद् भागवत कथा में देवर्षि नारद जी ने वीणा बजाई थी अर्जुन राग इंद्र मृदंग सन कदियो, राग छेड़ा भक्ति ज्ञान वैराग्य भागवत में नृत्य किया। अस्तु संगीत में भागवत का विरोध नहीं करना चाहिए। कुशल वैद्य रोग को दूर करने के लिए कड़वी दवा खिलाता है साथ में मीठा का प्रलोभन देता है इसी तरह अध्यात्म का विषय थोड़ा कठिन है, संगीत का सहारा लेकर कथा ह्रदय में प्रविष्ट हो जाती है। भारत की संस्कृति को इतना सामर्थ ग्रंथ देने वाले भगवान व्यास श्रीमद्भागवत की रचना की अपने बेटे सुखदेव जी को सुनाया सुखदेव जी ने परीक्षित को सुनाएं। ये बातें जग निवास चित्रकूट खोही में चल रही भागवत कथा के द्वितीय दिवस में भागवत रत्न आचार्य नवलेश जी महाराज ने कहीं। उन्होंने कहा अगर हमने जीवन में किसी व्यक्ति की सुरक्षा को स्वीकार किया तो परमात्मा हमारी रक्षा करना छोड़ देंगे। हमारा भाव यही होना चाहिए मेरा कोई न सहारा बिन तेरे नंदलाल सांवरिया, मेरे तूने लाखों पापी तारे हैं नहीं गुण और दोष निहारे हैं मैं आन पड़ी दर तेरे नंदलाल सांवरिया। कथा के समापन में सागर से आए डॉ कृष्ण कुमार त्रिपाठी ने आरती की और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।