बुंदेलखंड के बाँदा जनपद मुख्यालय में बीचों-बीच मां महेश्वरी देवी का विशाल मंदिर स्थित है. यह मंदिर दुर्गा शक्तिपीठों में से एक है. यहां पर मां महेश्वरी देवी पत्थर की शिला के रूप में प्रकट हुई थी.
बाँदा मुख्यालय के मध्य में स्थित मां महेश्वरी देवी का विशाल मंदिर है. यह मंदिर देवी शक्तिपीठों में से एक है. यहां पर मां महेश्वरी देवी पत्थर की शिला के रूप में प्रकट हुई थीं. जिनके दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं. शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां विशाल मेला लगता है. मुराद पूरी होने पर लोग माथा टेकने आते हैं।
जहां आज प्रसिद्ध महेश्वरी देवी मंदिर है. वहां पहले बलखण्ड पाताल नाम का घना जंगल हुआ करता था. उस समय बांदा के नाम पर छोटी बाजार, खुटला व अर्दली बाजार था. बाकी स्थान पर जंगल ही जंगल था. जहां आज कलेक्टर गंज है वहां एक विशाल तालाब था. कुम्हार इसी तालाब से बर्तन बनाने को मिट्टी ले जाते थे. कहा जाता है कि एक कुम्हार को मिट्टी की खुदाई दौरान देवी की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जो एक शिला के रूप में थी. जो शिला काफी गहराई में दबी थी. इसी चट्टान को लोग देवी प्रतिमा समझ कर पूजा करने लगे. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी में देवीभक्त गीत गाते हैं तो उसमें एक देवी गीत में इसका उल्लेख मिलता है।
मंदिर में श्रद्धा व आस्था से पूजा-अर्चना करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां पर मनोकामनाओं के पूरा होने पर लोग घंटा, शेर, छत्र आदि चढ़ा देते हैं. बच्चों के मुंडन व कनछेदन संस्कार भी कराते हैं. यहां मां महेश्वरी देवी का 24 घंटे अखंड दीप प्रज्ज्वलित रहता है.
मंदिर प्राचीन देवी शक्तिपीठों की तर्ज पर बनाया गया है. मंदिर में जगह-जगह पर छोटे-छोटे देवी देवताओं के मंदिर बने हैं. जिनमें चंदेल व मराठा कालीन नक्काशी की गई है. मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है. मंदिर प्राचीन देवी शक्तिपीठों की तर्ज पर बनाया गया है. मंदिर में जगह-जगह पर छोटे-छोटे देवी देवताओं के मंदिर बने हैं. जिनमें चंदेल व मराठा कालीन नक्काशी की गई है. मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है.
ऐसे पहुंचें मंदिर.
मंदिर बस स्टैंड से एक किलोमीटर व रेलवे स्टेशन से पश्चिम की ओर करीब आधा किलो मीटर दूरी पर स्थित है. यहां पर रिक्शा व टैंपों से पहुंचा जा सकता है. मंदिर बीच बाजार में स्थित है. मंदिर के नाम से चैराहा जाना जाता है.
श्रद्धालुओं की मान्यता है.
मंदिर अति प्राचीन है. यहां दूर-दूर से लोग माथा टेकने के लिए आते हैं और मन्नतें मांगते हैं. जिनकी मुरादें पूरी हो जाती हैं वह मां को चढ़ावा भी चढाते हैं. यहां शारदीय व चैत्र नवरात्रि को विशाल मेला लगता है. दूर-दूर से लोग माथा टेकने व पूजा-अर्चना को आते हैं. मां के दरबार में जो भी मुराद मांगी जाती है वह पूरी होती है.
रिपोर्ट -: आश अनुरुद्ध