ललितपुर। देश के सुप्रसिद्ध यडतोरे योगानंदेश्वर सरस्वतीमठ मैसूर कर्नाटक के परम पूज्य श्रीशंकर भारती महास्वामी जी महाराज के ललितपुर आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने ललितपुर की सीमा पर प्रवेश करने पर उनकी अगवानी की तत्पश्चात महास्वामी शंकर भारतीजी महाराज ललितपुर के प्रसिद्ध श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर पहुंचे जहां पर जनपद के सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ डा.ओमप्रकाश शास्त्री ने वेद ध्वनि के साथ पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। सरदार वी.के.सिंह ने पूर्ण कलश लेकर महाराज का वंदन किया एवं नृसिंहमंदिर में प्रवेश कराया पूज्य महास्वामी ने श्रीलक्ष्मीनृसिंह विग्रह के दर्शन कर पूजन किया। सायंकाल श्री नृसिंह मंदिर परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं की धर्म सभा में सर्वप्रथम वी.के.सरदार ने चरण पादुकाओं का पूजन किया। तत्पश्चात नागरिकों ने पुष्प अर्पित कर अभिनंदन किया धर्मसभा को संबोधित करते हुए श्रीशंकर भारती महास्वामी ने कहा कि 16 सौ वर्ष पूर्व जगदगुरू आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारतदेश को एकता के सूत्र में बांधने हेतु संपूर्ण भारत राष्ट्र की पद यात्रा की थी एवं सनातन धर्म के सर्वमान्य धर्मग्रंथों, उपनिषद, गीता, एवं ब्रह्मसूत्र का भाष्य किया था एवं भारत देश के चारों दिशाओं में चार शंकराचार्य पीठों की स्थापना कर सनातन धर्म कि धर्म ध्वजा को फहराया था। नैतिक मूल्यों एवं संस्कारों की पूर्ण स्थापना करते हुए 10 अखाड़ों की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि बिना साधना उपासना आराधना सत्कर्म एवं सत्संग तथा भजन किए बिना मानव जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज भारत की युवा पीढ़ी अध्यात्म से दूर होकर भौतिकता की ओर भाग रही है जो पतन का मूल कारण है। आज आवश्यकता है हम जगदगुरू आदि शंकराचार्यजी के उपदेशों गीता ब्रह्मसूत्र उपनिषद के सिद्धांतों, विचारों से युवा पीढ़ी को परिचित करा कर उन्हें राष्ट्र का आदर्श नागरिक बनाएं। धर्म सभा के प्रारंभ में संस्कृत के विद्वान आचार्य प्रवर डा.ओमप्रकाश शास्त्री ने श्रीशंकर भारती महास्वामी का अभिनंदन करते हुए कहा बुंदेलखंड की पावन धरा विद्वानों, संतों एवं भक्तोंकी साधना स्थली रही है। बुंदेलखंड की पावन भूमि पर भगवान श्रीराम ने 12 वर्ष तक चित्रकूट में साधना की थी। महारानी गणेशी बाईने अयोध्या से भगवान श्रीराम को रामराजा के रूप में ओरछा में विराजमान किया गया था, दतिया में विराजमान भगवती पीतांबरा देशभर के साधकों के लिए पूज्य है। उन्होंने कहा कि महर्षि व्यास ने बुंदेलखंड की भूमि कालपी में यमुना के तट से 18 पुराणों की रचना की है। महर्षि च्यवन ने ललितपुर में बेतवा के तट पर आयुर्वेद की शिक्षा दुनिया को प्रदान थी। संत तुलसीदास, महाकवि केशवदास वृंदावनलाल वर्मा मैथिलीशरण गुप्त जैसे महाकवियों की यह कर्म भूमि रही है। महाराजा छत्रसाल, वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई की इस पावन भूमि पर आपका हृदय से अभिनंदन है। डा.शास्त्री ने बुंदेलखंड के वीरों एवं भक्तों की विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान सरदार वी.के.सिंह, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय पदाधिकारी सुधांशु शेखर हुण्डैत, रामेश्वर मालवीय, प्रदीप चौबे, बब्बूराजा बुन्देला, धर्मेन्द्र रावत, गिरीश पाठक, जिला कार्यवाह आशीष चौबे, नगर प्रचारक श्रीयश, विहिप अध्यक्ष नवल किशोर सोनी, धर्मेंद्र गोस्वामी, महेश भैया, सुबोध गोस्वामी, प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजीव बबेले, महामंत्री अंतिम जैन, रामगोपाल नामदेव, प्रशांत शर्मा, नरेंद्र पाठक, बद्रीप्रसाद पाठक, संतोष सोनी गुरू, छक्कीलाल साहू, हृदयेश हुण्डैत, राहुल शुक्ला, डा.दीपक चौबे, रोहित मिश्रा, मनीष अग्रवाल, भगवत प्रसाद अग्रवाल, शैलेंद्र सिंह बुंदेला, भगवत नारायण बाजपेई, उमाशंकर विदुआ, नरेश विदुआ, आशीष रिछारिया, सुनील शर्मा, नरेश शेखावत, अनिल सोनी, भरत रिछारिया आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। संचालन डा.ओमप्रकाश शास्त्री ने किया। सुधांशु शेखर हुण्डैत सभी का आभार व्यक्त किया।