
जब मध्य प्रदेश के मम्मा भी मोदी जी के जैसे जंगल यात्रा पे गए !
कल्पना से उपजा एक बुंदेली लेख – अगर मोदी जी के जैसे एमपी वाले मम्मा भी जंगल की यात्रा पर जाएं तो
मम्मा -v/sजंगली
( मध्य प्रदेश की राजनीति के मम्मा की बहादुरी यात्रा , बुंदेली बौछार संग )
सचिन चौधरी बुंदेली बौछार 7970281421
मोदी जी के बाद मम्मा ने भी ख्वाहिश करी के उन्हें भी जंगल की यात्रा करें चईये। बहुत लम्बी डिस्कवरी करवे के बाद उनने बुंदेली बौछार को चयन करे अपनी ” बहादुरी यात्रा ” के लाने। बुंदेली बौछार के महा डरपोक टाइप सचिन के संग पन्ना नेशनल पार्क की यात्रा पे निकल करे मम्मा। पेश है दोई जनन को बुंदेली में वार्तालाप
रिपोर्टर- मम्मा , हाथ में भाला ले लो , जंगल में चाने परहे , शेर वेर आ गाओ तो
मम्मा – तुम ससुर यात्रा के पहले सवाल में ही फट्टू से दिखा रहे। जो भाला वाला का होत, हम ख़ुदई टाइगर से कम हैं का ? हां, एकाध पतली सी लठिया जरूर ले लो। कोऊ कुत्ता पछिया गओ तो काम आहे। हमाये इते के कुत्ता एक बेर टांग दबोच लएं तो कुट्ट करें बिना नहीं छोड़त।
रिपोर्टर – ठीक है साब , अब अपन गेट नंबर 3 से अपनी यात्रा शुरू कर रहे। आप जरा ये बताओ के बचपन आपको कैसो बीते ?
मम्मा – अब का बताएं। बस नर्मदा मैया की सेवा करत रये। ओई किनारे पेड़ पे चढ़के अमियां टोरत रहे। जानवर, पशु पक्षी , खेती किसानी जोई जीवन रहो। अब तक जो जंगल से प्रेम बरक़रार है। सो जब भी मन विचलित होये जंगल में ही चले जात, सुकून के लाने।
रिपोर्टर – अच्छा मम्मा एक बात जरा पर्सनल है , इजाजत लेके पूछ रहे। जबसे आप तनिक फ्री भये , तबसे आपने जंगल जावो छोड़ दओ ?
मम्मा – अब देखो जा तो है पर्सनल बात। लेकिन खुलासा करें दे रहे। सत्ता में रहते जब विरोधियों को और अपनी ही पार्टी के कछु लोगन को ब्लड प्रेशर बढ़ाने होत तो , तबई हम जा तरकीब आजमात हते। इते हम जंगल गए नहीं के मीडिया में हल्ला हो जात तो। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें , निगम मंडल की नियुक्ति टाइप। सो इते हम जंगल में मजा करत ते उते नेताओं के भी मजा लेत रहे। है न डबल मुनाफे की बात।
रिपोर्टर- चलो मम्मा, अब फिर से अपन जंगल की तरफ लौट रहे। जे बताओ के पन्ना में एकऊ टाइगर नहीं बचे ते फिर आपने जो कमाल कैसे करे ?
मम्मा – जेई तो अपनी खूबी है गुरु। पूरो राज तो अपन नहीं बताहें लेकिन एक बात जरा तुम खुद सोच के देखो। टाइगर खों भी वंश बढ़ावे के लाने एक मेल और एक फीमेल टाइगर चाने परत। लेकिन हम पन्ना में जीरो टाइगर से इतने सारे टाइगर पे ले आये। है न कमाल की बात। कमाल से याद आई। के टाइगर की वृद्धि हमने कराई और टाइगर स्टेट को तमगा कमलनाथ जी के सर पे सजे। जे तो बोई बुंदेली कहावत हो गई। लरका खेले यार को नाम पिया को होय।
रिपोर्टर- अब मम्मा इत्ते दुखी न हो आप , वैसे तो इतनों मंहगो वल्लभ भवन भी आपने ही बनवाओ तो लेकिन ऊमें भी आप न बैठ पाए
मम्मा – सही कह रहे गुरु। किस्मत है। लेकिन हम भी किस्मत से लड़वे वारे आदमी आएं। दुनिया में अपनी जगह कैसे बनाई जात , जा चीज भी हमने जंगल से ही तो सीखी। 14 साल पहले अचानक से जैसे हमें वन विहार के पिंजरा से निकार के अचानक खुले जंगल में अपनी जगह बनावे छोड़ दओ गओ। सामने घायल शेरनी , बुजुर्ग भालू और हर तरफ जंगल के राज पे नजरें गढ़ाए बैठे गिद्ध। हम इन सबसे निपटे। शेरनी खों जंगल बदर करवाओ। भालू खों अंटा में लओ। पूरे 14 साल तक राज करे जंगल पे।
रिपोर्टर- वाह मम्मा वाह। चलो मचान पे चलिए। टाइगर दिखा रहो। मम्मा टाइगर से आपखों इतनो प्रेम काय है ?
मम्मा – अब भैया प्रेम तो हुईए ही न। जित्ती लम्बी छलांग राजनीति में हमने मारी,, ऊको मुकाबला सिर्फ टाइगर ही कर सकत। सबसे बड़ी बात के टाइगर से सब घबराउत भी हैं और पसंद भी करत। बस टाइगर से कोई नफरत नहीं करत। जेई बात टाइगर की अच्छी लगत हमें।
रिपोर्टर- अच्छा मम्मा अबे आप हाथी के कान में का के रये हते रस्ता में ?
मम्मा – हम ऊसे कह रहे थे के , राम की चिरैया राम को ही खेत , खाओ रे हाथी भर भर पेट
रिपोर्टर- अरे मम्मा , अब आपको राज नहीं है। ऐसे दोई दोई हाथों से न लुटाओ।
मम्मा – हमाओ का है , कमलनाथ को का है ? जो है जनता को है। जनता से लओ जनता खों दओ। कोऊ अहसान थोड़े करत।
रिपोर्टर- बात तो सही है आपकी मम्मा। बस एक बात बताओ के जंगल में कछु खावे भी नहीं लियाये आप। इत्ती ऊर्जा किते से मिलत आपखों ?
मम्मा – अरे मुंह में शक्कर , पांव में चक्कर , सीने में आगे और माथे पे बर्फ , अब अपनी एनर्जी के जेई चार आइटम हैं। चाहे जंगल हो या मंगल, जिते चाहे ले जाओ अपन खों
रिपोर्टर- अच्छा मम्मा अब महत्वपूर्ण सवाल को जवाब देओ। आप इतने खतरों से खेलत हो। कबे राजनीति में कौन आपखों निपटा देवे। तो भविष्य के लाने चिंता नहीं लगत ?
मम्मा – देखो भाई। जे सब चीजें भी जंगल से सीखें चईये। जंगल में 3 टाइप के प्राणी होत। एक वे जो शिकार करत हैं यानि शक्तिशाली। एक वे जो शिकार बनत हैं यानि कमजोर प्राणी । और तीसरे वे जो रहत तो कमजोर के संग हैं लेकिन जब समय ठीक न चले तो शक्तिशाली प्राणियों के संग आ जात। जब खुद सुरक्षित हो तबई तो आप दुसरे खों सुरक्षित कर पेहो
रिपोर्टर- वाह मम्मा वाह – गजब आपको जंगल दर्शन। आनंद आ गओ आपकी बहादुरी यात्रा में। फिर एकाध में हमें ले जावो न भूलियो
मम्मा – हओ पक्का
विशेष – ( यह लेख लेखक की कल्पना और हास्य रस के बोध पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचना नहीं है )