
छतरपुर।श्री बागेश्वर धाम सिद्ध पीठ आश्रम में विश्व शांति सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में पूज्य संत श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज के पुण्य आयोजकत्व में पूज्य शान्तिदूत धर्मरत्न श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के मुखारविंद से प्रथम बार श्रीमद भागवत कथा का आयोजन 03 से 09 सितम्बर 2021 तक प्रतिदिन श्री बागेश्वर धाम सिद्ध पीठ ग्राम- गढ़ा, पोस्ट – गंज, जिला- छतरपुर, मध्यप्रदेश में दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक किया जा रहा है।
भागवत कथा के तृतीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा में बताया की जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन हो उसको क्या करना चाहिए ? इस वृतांत का विस्तार से वर्णन किया। कथा के तृतीय दिवस पर भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया।
भागवत कथा की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि हमारे संत ऐसा कहते है जो दिनों के लिए कार्य करें वो दीनबंधु भगवान से कम नहीं है। भाग्यवान है जिनके ह्रदय में सीता राम जी के प्रति राधे श्याम जी के प्रति भक्ति जाग्रत होती है आयोध्या और वृन्दावन यात्रा करने का विचार होता है वो भाग्यवान होते है। बड़ा सुन्दर भगवान ने हम सभी का भाग्य बनाया है। जिस भाग्य से हम और आप सभी भगवान की कथा श्रवण कर रहे है। जितने भी युवा जीवन में सफलता चाहते हैं तो सबकुछ आपके विचारों पर निर्भर करता है। कई बार लोग निराश होते हैं, आपकी विचारधारा आपको सुख देती है, आपकी विचार धारा आपको दुख देती है। इस संसार में सब अपने अपने कर्मों का फल भोगते हैं।
महाराज श्री ने कहा कि आप अपना सम्बंध गोविंद से जोड़ कर रखिए, कल तक कितने भी बुरे कर्म किए हों उसकी चिंता मत करो, कल तक जो हो गया उसे भूल जाए, अपना बचा हुआ समय सदुपयोग करो और अपना सम्बंध ठाकुर जी से जोड़ लो, जब ठाकुर जी से सम्बंध जुड़ जाएगा तो ठाकुर जी स्वयं ही तुम्हारा बेड़ा पार कर देंगे, इसके कोई दो राय नहीं है।
पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कल का कथा क्रम याद कराया की राजा परिक्षित को श्राप लगा कि सातवें दिन तुम्हारी मृत्यु सर्प के डरने से हो जाएंगी। जिस व्यक्ति को यहाँ पता चल जाये की उसकी मृत्यु सातवें दिन हो वो क्या करेगा क्या सोचेगा ? राजा परीक्षित ने यह जान कर उसी क्षण अपना महल छोड़ दिया। राजा परीक्षित ने अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने निकल पड़े गंगा के तट पर। गंगा के तट पर पहुंचकर जितने भी संत महात्मा थे सब से पूछा की जिस की मृत्यु सातवें दिन है उस जीव को क्या करना चाहिए। किसी ने कहा गंगा स्नान करो, किसी ने कहा गंगा के तट पर आ गए हो इससे अच्छा क्या होगा, हर की अलग अलग उपाय बता रहा है।
तभी वहां भगवान शुकदेव जी महाराज पधारे, जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने सेपुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी है चूड़ामणि है उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये…
अब शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा की हे राजन ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है। तो राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है। श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय है जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है। राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रार्थना की हे गुरुवर आप ही मुझे श्रीमद भागवत का ज्ञान प्रदान करे और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्थ करे।
भगवान मानव को जन्म देने से पहले कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े। मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत ने कहा है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपनालो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित केकारण है भागवत कथा पृथ्वी के लोगो को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्री राम एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वृतांत सुनाया जाएगा।
