आस्थाबुंदेलीमध्यप्रदेश

प्यार और आजादी का एक अनोखा मेला ,जहा गुलाल लगाने से हो जाता है प्रेम विवाह

सोचिये एक मेला जहाँ लड़का लड़की मिलते है एक दूसरे को पसंद करते है और दोनों राजी हो तो परम्परानुसार गुलाल लगा कर भाग कर शादी करते है जी हां जितनी रोचक यह बात आपको पढ़ने में लग रही है इससे ही ज्यादा रोचक लगेगा आपको हमारा आज का आर्टिकल

यह बात किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है यह मध्यप्रदेश के मालवा और निमाड़ अंचल में हर साल होली के पहले होने वाली अनूठी परम्परा है जिसे हम भगोरिया उत्सव के नाम से जानते है।
भगोरिया उतसव भील जनजाति में होने वाली एक खास परम्परा है

जानिए कौन है भील जनजाति
भारत विब्भिन्ना परम्परा एवं संस्कृति से घिरा हुआ देश है अनेकता में एकता हमारी पहचान है हमरी संस्कृति के अनुसार आदिवासियों को हमारा पितृ पुरुष माना गया है भारत की बात करे तो पुरे देश में 8. 6 % जनजाति पाई जाती है। वही भारत की हृदयस्थली मध्यप्रदेश सम्पूर्ण भारत में जनजातीय प्रतिशत में प्रथम स्थान पर आता है। यह लगभग 21% जनजाति पाई जाती है। और भील जनजाति की बात करे तो भील मध्य प्रदेश के साथ-साथ भारत में भी सबसे बड़ी जनजाति हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में भील जनजाति की जनसंख्या 4,61,80,68 है, जो राज्य की कुल अनुसूचित जनजातीय आबादी का 37.7% है।

इन्ही जनजाति की बीच एक ऐसा उत्सव मनाया जाता है जो अधिक चर्चा का विषय बना रहता है। यह गुलाल लगा कर प्रेम विवाह होना एक परमपरा का इससे है तो आज हम जानेगे इस विशेष परम्परा के बारे में विस्तार से …

क्या है भगोरिया ?
भगोरिया सिर्फ एक मेला नहीं बल्कि भील और भिलाला जनजाति की प्रेम और स्वतंत्रता की परंपरा है इस मेले में युवक-युवतियां सज-धजकर आते हैं, एक-दूसरे को पसंद करते हैं और अगर उनकी जोड़ी बन जाती है, तो बिना किसी रोक-टोक के शादी कर सकते हैं।

कैसे होती है ‘भागकर शादी’?

अगर किसी लड़के को कोई लड़की पसंद आ जाए, तो वह गुलाल लेकर लड़की के पास जाता है। अगर लड़की भी उसे पसंद करती है, तो वह लड़के के गाल पर गुलाल लगा देती है। इसके बाद दोनों हाथ पकड़कर मेले से भाग जाते हैं और शादी कर लेते हैं। बाद में परिवार वाले भी इस शादी को स्वीकार कर लेते हैं।

क्या आप जानते है इसे कहते हैं इसे ‘इंडियन वेलेंटाइन’

भगोरिया में प्यार जताने की पूरी आज़ादी होती है। लड़का-लड़की खुलकर अपनी पसंद बता सकते हैं, कोई उन्हें रोकता नहीं। यही वजह है कि इसे भारत का देसी वेलेंटाइन डे भी कहा जाता है।

आज भी जिंदा है ये परंपरा?

पहले के समय में यह मेला शादी तय करने के लिए ही मशहूर था, लेकिन अब यह ज़्यादा सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है। भागकर शादी करने की परंपरा अब कम हो गई है, लेकिन मस्ती, रोमांच और लोकसंस्कृति का रंग आज भी वैसा ही है।

तो अगली बार होली के पहले, भगोरिया मेले का हिस्सा बनकर इस अनोखे त्योहार का मज़ा जरूर लें!

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