
करेली। देवउठनी एकादशी दिन को नगर के मंदिरों और घरों में महिलाओं द्वारा माता तुलसी और शालिग्राम भगवान का विवाह रचाकर मनाया गया। वर व वधू पक्ष की महिलाओं ने भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की बरात नगर की गलियों से निकाली गई। सात फेरों के साथ भगवान विष्णु और माता तुलसी का विवाह संपन्न कराया गया। महिलाएं ने 1 महीने तक कार्तिक स्नान करके सुबह उठकर भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की पूजन अर्चन किया। श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर सरसला देवी मंदिर और रॉयल सिटी में भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह रचाया गया। भगवान विष्णु चार महीने के योग निद्रा के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन से मंगल कार्य प्रारंभ होते हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन अगर विधिवत पूजा-अर्चना की जाए तो पूजा करने वाले व्यक्ति को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है।देवोत्थान एकादशी का महत्व इन चार महीनो में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं और जब भगवान विष्णु जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न हो पाता है।