
चित्रकूट। धर्मनगरी में देवउठनी एकादशी के पावन दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह किया जाता है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस साल देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 14 नवंबर और 15 नवंबर दोनों दिन है। पंचांग में भेद होने के कारण कुछ जगहों पर देवउठनी एकादशी 14 नवंबर को मनाई गई और कुछ जगहों पर 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है। इस पावन दिन विधि- विधान से पूजा- अर्चना कर पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इसी दिन से शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं शादी विवाह व शुभ लगन की शुरुआत होती है। इस मौके पर रामघाट में शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जो रामघाट से होते हुए छोटी परिक्रमा कर अखाड़े में पूरी हुई। शोभायात्रा में जमकर लोग खूब झूमे और नाचे गाए। तुलसी विवाह के मौके पर दिगंबर अखाड़े के महंत श्री दिव्यजीवन दास महाराज पंडित रघुनंदन अवस्थी पुजारी जी संतोष कुमार, स्वामी जी, चंपा देवी संपतिया, उमा देवी सावित्री देवी, तुलसी देवी श्यामकली आरती ज्योति पूजा वंदना हेमलता आदि महिलाएं मौजूद रहे।